नई दिल्ली: अभी तक ऑटिज्म के लाइलाज माना जाता रहा है, लेकिन स्टेम सेल थेरेपी से एक नई उम्मीद जगी है। डॉक्टरों का कहना है कि स्टेम सेल थेरेपी से ऑटिज्म का इलाज संभव है। ब्रेन एण्ड स्पाइन इंस्टीट्यूट मुंबई के निदेशक डॉ आलोक शर्मा ने कहा कि विज्ञान के विकास के साथ अब स्टेम सेल थेरेपी से ऐसे हजारों बच्चों का उपचार किया जा चुका हैं। लेकिन स्टेम सेल थेरेपी के बारे में आम लोगों को बहुत कम जानकारी है।
डॉक्टर शर्मा ने कहा कि बीमारियों का समाधान आमतौर पर बहु अनुशासनिक दृष्टिकोण से मिलता हैं और यह तभी संभव हो पाता हैं जब उपचार के लिहाज से मुश्किल विकारों के मामलों में अलग अलग विषय विशेषज्ञ अपने ज्ञान, कौशल एवं संसाधनों का संयुक्त रूप से प्रयोग करते हैं। अभी तक ऑटिज्म का इलाज ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट साइकोलॉजिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट एवं विशेष शिक्षकों द्वारा किया जाता था लेकिन अब ऑटिज्म के समग्र प्रबंधन में फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका सामने आई हैं।
उन्होंने कहा कि एक पांच वर्षीय बच्चे जिज्ञारथ के बारे में कहा कि छह माह के उपचार के बाद उसमें 3० प्रतिशत से अधिक सुधार हुआ हैं। बच्चे के माता-पिता का मानना हैं कि उपचार के बाद बच्चे में काफी परिवर्तन नजर आ रहे हैं। मरीज के शरीर की हड्डियों से स्टेल सेल निकाल के उपचार किया जाता हैं और थेरेपी से न्यूरो मरम्मत का कार्य किया जाता हैं। इस उपचार पर दो से तीन लाख रूपये का खर्च आता हैं। उन्होंने बताया कि इस विधि से ब्रेन डेथ व्यक्ति में तो कोई सुधार नहीं लाया जा सकता लेकिन कोमा की स्थिति से मरीज को उभारा जा सकता है। उन्होंने बताया कि अभी हमारी संस्थान में चार हजार से अधिक ऐसे मरीजों का उपचार किया जा चुका हैं।