नई दिल्ली,
कैरियर बनाने की चाहत, महंगाई, मेट्रो शहर की भागती दौड़ती जिंदगी और इन सबके बीच व्यक्तिगत स्वास्थय की चिंता, शहर की कामकाजी महिलाओं के पास खुद को समय देने के लिए समय ही नहीं होता। महिलाओं के स्वास्थ्य पर काम करने वाली संस्था फागसी के एक अध्ययन के अनुसार पांच साल पहले तीन साल तक शादी करने वाली महिलाओं की संख्या केवल चालीस प्रतिशत थी, जबकि अब यह आंकड़ा बढ़कर साठ प्रतिशत हो गया है। निरोग्य लाइफ ने इस संदर्भ में एक अहम पहल की है। एक सितंबर से शुरू होने वाले आफ्टर 30 कैंपेन से जरिए महिलाओं की ऐसी ही कुछ समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
रॉकलैंड अस्पताल की जानी मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शीतल ने बताया कि पीसीओएस, यूटीआई और फाइब्रायड यूट्रेस आजकल कुछ ऐसी समस्याएं है जो हर दस में से तीन महिलाओं में देखी जाती है। सबसे अहम यह है कि परेशानी के लक्षण बीमारी बढ़ने पर नजर आते हैं। साधारण मासिक धर्म के समय पेट के नीचले हिस्से में तेज दर्द, या फिर खून में क्लाटिंग का आना, पेशाब करने पर जलन का अनुभव या खुजली कुछ ऐसे लक्षण हैं, जिन्हें सही समय पर पहचान कर इलाज संभव है। ऑफ्टर 30 कैंपेन ऐसी महिलाओं के लिए ही शुरू किया गया है, जो कामकाजी हैं लेकिन व्यस्तता के चलते चिकित्सक के पास नहीं जा पाती हैं।