नई दिल्ली: केन्द्र सरकार एक तरफ पोषण अभियान पर जोर दे रही है, वहीं दिल्ली की बस्तियों में रहने वाले 50 हजार लोगों से कुपोषण के खिलाफ जारी एक अभियार पर हस्ताक्षर कर इस बात की सहमति दी है कि दिल्ली में अब भी कुपोषण एक समस्या है। अभियान की शुरूआत मैत्री सुधा स्वयं सेवी संस्था द्वारा करीब एक साल पहले उस समय की गई थी जबकि दिल्ली के मंडावली इलाके में भूख के कारण तीन बच्चियों की जान चली गई थी। बच्चियों का पिता रिक्शा चलाता था, जो उन्हें छोड़कर कहीं चला गया था। स्वयं सेवी संस्था के कुपोषण अभियान में लोगों ने साथ दिया है।
पचास हजार हस्ताक्षर युक्त अपील लेकर संस्था के प्रतिनिधि का दल गुरुवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलने पहुंचा। मैत्री सुधा स्वयं सेवी संस्था के प्रमुख अरविंद सिंह ने बताया कि दिल्ली में कुपोषण से लड़ने के लिए राज्य स्तरीय योजना तैयार की गई है, जिसके लिए बजट भी निर्धारित है, बावजूद इसके यहां दिल्ली को कुपोषण से मुक्ति नहीं मिल पा रही है। अरविंद ने कहा कि लंबे समय से राज्य फूड कमिशन का गठन होना लंबित है, जबकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 में हर राज्य में इसके गठन की बात कही गई थी। अपील में इस बात की भी मांग की गई कि मिड डे मिल योजना का विस्तार कक्षा नौ से 12 तक के छात्रों तक भी किया जाना चाहिए। स्कूलों के विपरीत आंगनबाड़ी केन्द्रों पर दिया जाने वाला पोषाहार में सालों से बदलाव नहीं किया गया है। मिड डे मिल की तरह ही आईसीडीएस योजना के मीनू में भी परिवर्तन किया जाना चाहिए। छह बिंदुओं के अपील पत्र में कम्यूनिटी किचन बनाने की भी मांग की गई है। संस्था के पदाधिकारियों की हालांकि सीएम से मुलाकात नहीं हुई, लेकिन अधिकारियों अपील को सुरक्षित रख मांगे मानने का आश्वासन दिया है।