नई दिल्ली,
कोरोना के इलाज में कौन सी दवा कारगर होगी, इस पर रोजाना नये अध्ययन किए जा रहे हैं। जो दवाएं अभी इस्तेमाल की जा रही हैं, उस पर भी चिकित्सक आश्वस्त नहीं है कि उनके सेवन से संक्रमण पर नियंत्रण हो सकेगा या नहीं। लेकिन ब्रिटिश शोध कर्ताओं ने इस विषय पर शोध किया है कि कौन सी दवा कोविड के इलाज में कारगर है और कौन सी दवा कारगर नहीं है।
ब्रिटिश अनुसंधानकर्ताओं ने डेक्सामीथासोन नाम के सस्ते स्टेरॉयड पर अपना अध्ययन प्रकाशित किया। दो अन्य अध्ययनों में पाया गया कि मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन हल्के लक्षण वाले मरीजों के इलाज में मददगार नहीं है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में सूजन को कम करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले स्टेरॉयड का परीक्षण किया गया। करीब 2,104 मरीजों को यह दवा दी गई। इससे ऑक्सीजन मशीन की सहायता लेने वाले 36 प्रतिशत मरीजों की मौत का खतरा कम हुआ। हालांकि यह शुरुआती चरण या हल्के लक्षण वाले मरीजों के लिए हानिकारक दिखाई दी। नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ के डॉ. एंथनी फाउची और एच. क्लिफोर्ड लेन ने ‘न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन’ में लिखा कि इस बात को लेकर स्पष्टता कि कौन-सी दवा लाभकारी है और कौन-सी नहीं, इस बात के स्पष्ट होने से संभवत कई जिंदगियां बचाई जा सकेंगी। अध्ययन में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की भी जांच की गई और अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि जिन लोगों को यह दवा दी गई थी उनमें से 25.7 प्रतिशत मरीजों की 28 दिनों बाद मौत हो गई। इसमें कहा गया है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा वाले मरीजों के 28 दिनों के भीतर अस्पताल से जीवित घर लौटने की संभावना कम देखी गई। दो अन्य प्रयोगों से यह पता लगा कि इस दवा को शुरुआती स्तर पर देने से हल्के लक्षण वाले कोविड-19 के मरीजों को कोई मदद नहीं मिली। कोरोना वायरस के इलाज में रेमेडेसिविर नाम की अन्य दवा भी मददगार पाई गई। वायरल रोधी इस दवा से अस्पताल में भर्ती रहने के दिनों की संख्या में औसतन करीब चार दिनों की कमी आयी। एक अनुसंधानकर्ता ने कहा कि कोविड-19 के गंभीर मरीजों के इलाज में अभी रेमेडेसिविर की भूमिका का पता लगाना बाकी है। रेमेडेसिविर पर अध्ययन की जानकारियां अभी प्रकाशित नहीं की गई हैं।