नई दिल्ली,
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोरोना की जांच में बदलाव किया है। कोरोना पॉजिटिव पाए गए मरीजों को घर भेजते समय अब उनकी दोबारा कोविड की जांच नहीं की जाएगी। जारी आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि मरीज के भर्ती होने के दस दिन बाद बुखार या कोरोना संबंधित अन्य लक्ष्णों में सुधार देखा जाता है तो मरीज को होम क्वारंटाइन के लिए भेजा जा सकता है, इसके लिए उसकी कोविड की दोबारा जांच नहीं की जाएगी। इसका सीधा मतलब यह है कि मरीज ठीक हो या न हो, इसका पता लगाए बिना ही उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। इससे बिना नेगेटिव रिपोर्ट आए घर जाने वाले मरीजों से संक्रमण बढ़ने का खतरा अधिक रहेगा। जबकि केवल गंभीर मरीजों की ही अस्पताल से डिस्चार्ज करने के समय जांच की जाएगी।
शुक्रवार को स्वास्थ्य सचिव लव अग्रवाल द्वारा इस बावत एक नोटिफिकेशन जारी किया गया। जिसमें अस्पताल से डिस्जार्च किए जाने वाले कोरोना पॉजिटिव मरीजों की जांच के तरीके में बदलाव के निर्देश दिए गए हैं। अब केवल अति गंभीर मरीजों की ही छुट्टी के समय दोबारा कोविड जांच की जाएगी। जबकि नई गाइडलाइन सरकार के पहले इस नियम का विरोधाभाष करती है जिसमें कहा गया कि मरीज को डिस्जार्च करते समय उसके बीते 23 घंटे की कोरोना नेगेटिव जांच का होना अनिवार्य है।
डॉक्टर्स एसोसिएशन ने कोरोना जांच के इस बदले हुए तरीके का विरोध किया है। एम्स आरडीए के जनरल सेक्रेटरी डॉ. श्रीनिवास राजकुमार टी ने बताया कि केन्द्र सरकार ने कोरोना पॉजिटिव मरीजों की जांच में बदलाव किया है। कोरोना के हल्के लक्षण के साथ पॉजिटिव पाए गए कोविड मरीजों को तीन दिन के बुखार के लक्षण के बाद दस दिन के अस्पताल में दिए गए इलाज के बाद डिस्चार्ज किया जा सकेगा। ऐसे मरीजों को डिस्जार्च के समय की जाने वाली कोविड जांच अब नहीं की जाएगी, इसके साथ ही उन्हें होम क्वारंटाइन के समय दिए गए दिशा निर्देशों का पालन करने की सलाह दी जाएगी। बिना नेगेटिव रिपोर्ट के घर गए कोरोना पॉजिटिव मरीजों से संक्रमण के बढ़ने का खतरा बना रहेगा। गाइडलाइन में कहा गया कि घर पहुंचने के बाद यदि उन्हें दोबारा कोरोना के लक्षण दिखाई देते हैं तो वह केन्द्र सरकार की कोविड हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा दूसरी श्रेणी में कोविड के ऐसे मरीजों को रखा गया है जिनमें कोरोना के गंभीर लक्षण हैं, और वह कोरोना डिडेकेटेड हेल्थ सेंटर में ऑक्सीजन बेड पर भर्ती किए गए हैं। ऐसे मरीजों के बिना वेंटिलेटर के बुखार की जांच की जाएगी, ऐसे मरीजों को दस दिन के अंतराल के बाद निम्न स्थिति में अस्पताल से छुट्टी जा सकेगी, पहला यदि वह बिना वेंटिलेटर के सांस ले पा रहे हैं, दूसरा तीन दिन तक बिना बुखार पाए जाना और तीसरा सांस लेने में तकलीफ न होना। ऐसे गंभीर मरीजों की भी डिस्जार्च के समय कोरोना जांच नहीं की जाएगी।