नई दिल्ली।
देश में कोरोना संक्रमण की दर में लगातार कमी हो रही है। साथ ही कोविड वैक्सीनेशन की संख्या में वृद्धि हो रही है। यह इस बात का संकेत है कि हम पहले से बेहतर स्थिति में आ रहे हैं। मगर इसके साथ ही कोविड गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने नेशनल मीडिया सेेंटर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पिछले 24 घंटे में सक्रिय मामलों की संख्या घटकर 7,98,656 हो गई है। पिछले 3 दिनों में सक्रिय मामलों में 1,14,000 की कमी आई है। अब रिकवरी दर बढ़कर 96% हो गई है। हम हर रोज़ 18.4 लाख कोरोना टेस्ट कर रहे हैं। 22 करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज़ लग गई है और 5 करोड़ से अधिक दूसरी डोज़ लगाई गई है। पिछले 24 घंटे में देश में 62,480 नए मामले सामने आए हैं। पिछले 11 दिनों से एक लाख से कम मामले रिपोर्ट हो रहे हैं। कोरोना मामलों के पीक में 85% की कमी देखी गई है।
नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य डॉ वीके पॉल ने बताया कि अध्ययनों से पता चलता है कि कोरोन की वैक्सीन लगवा चुके व्यक्तियों में अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 75-80 फीसद कम होती है। ऐसे व्यक्तियों को ऑक्सीजन समर्थन की आवश्यकता होने की संभावना लगभग 8 फीसद है और टीकाकरण वाले व्यक्तियों में आईसीयू में प्रवेश का जोखिम केवल 6 फीसद है।
डॉक्टर वीके पॉल ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में सेरोपोसिटिविटी दर 56 फीसद और 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में 63 फीसद है। जानकारी से पता चलता है कि बच्चे संक्रमित थे लेकिन यह बहुत हल्का था। बच्चों में संक्रमण के केवल अलग-अलग मामले हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ और एम्स के सर्वेक्षण से पता चलता है कि 18 वर्ष से कम और 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में सेरोपोसिटिविटी लगभग बराबर है। 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में, 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में सेरोपोसिटिविटी दर 67 फीसद और 59 फीसद है। शहरी क्षेत्रों में, यह 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में 78 फीसद और 18 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों में 79 फीसद है।
इस दौरान एक सवाल के जवाब में नीति आयोग के डाॅ वीके पाॅल ने कहा कि सरकार तमाम चीजों को देखने के बाद ही स्कूल खोलने पर निर्णय लेगी। केवल दैनिक मामलों में संक्रमण की कमी के आधार पर यह निर्णय तुरंत नहीं लिया जा सकता है। सरकारी स्तर पर इसके लिए समय-समय पर विचार विमर्श किया जाता है।