नई दिल्ली,
सरगंगाराम अस्पताल में इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट (आईआर)के डॉक्टरों की टीम ने हाल ही में एक महिला मरीज के कैंसरयुक्त ट्यूमर को एक अनोखे इलाज से ठीक किया, क्योंकि मरीज की कैंसर की सर्जरी नहीं की जा सकती थी।
दिल्ली निवासी 55 वर्षीय महिला लीवर में मेटास्टेसिस के साथ गॉल ब्लेडर के कैंसर से पीड़ित थी। मरीज में सर्जरी नही की जा सकती थी, इसलिए, इस मरीज के इलाज के लिए क्रायोब्लेशन के रूप में एक नई उपचार पद्धति को अपनाया गया। यह प्रक्रिया दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में आईआर टीम डॉ. अरुण गुप्ता, डॉ. अजीत यादव और डॉ राघव सेठ द्वारा की गई।
डॉ. अजीत यादव, सलाहकार इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट, सर गंगा राम अस्पताल के अनुसार क्रायोब्लेशन अत्यधिक ठंडी गैसों के साथ कैंसर युक्त कोशिकाओं को मारने के लिए एक न्यूनतम इनवेसिव उपचार है। यह ‘फ्रीज-थॉ-फ्रीज’ चक्र के सिद्धांत पर काम करता है। एक पतली सुई – जिसे क्रायोप्रोब को सीधे अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन मार्गदर्शन में कैंसर में रखा जाता है। क्रायोप्रोब कैंसर कोशिकाओं को जमने और मारने के लिए तरल नाइट्रोजन जैसी बेहद ठंडी गैस का संचार करता है। फिर ऊतकों को पिघलने दिया जाता है। अंत में ठंडी गैस का एक और चक्र दिया जाता है। आवश्यक समय ट्यूमर के आकार स्थान और प्रकार पर निर्भर करता है।
सामान्य तौर पर क्रायोब्लेशन का उपयोग फेफड़ों, गुर्दे, हड्डी, यकृत और स्तन सहित अन्य प्रकार के कैंसर के लिए भी किया जा सकता है। प्रक्रिया में लगभग एक से दो घंटे लगते हैं। यह सुरक्षित है और इसमें शामिल जोखिम आमतौर पर सर्जरी की तुलना में कम होते हैं। क्रायोब्लेशन का एक अतिरिक्त लाभ यह है कि यदि आवश्यक हो तो इसे दोहराया जा सकता है।
इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरपर्सन डॉ. अरुण गुप्ता ने बताया कि हमने इस मरीज के लिए उत्तरी भारत में पहली बार क्रायोब्लेशन को चुना क्योंकि कैंसर अपेक्षाकृत बड़ा था और यकृत (लिवर) धमनियों और अन्य महत्वपूर्ण संरचनाओं के बहुत करीब था। क्रायोब्लेशन ने कैंसर को पूरी तरह से खत्म करना सुनिश्चित किया, जिसे सीटी स्कैन में आइस बॉल के रूप में भी देखा जा सकता है।
डॉ. राघव सेठ, एसोसिएट कंसल्टेंट इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट के अनुसार क्रायोब्लेशन से कम साइड इफेक्ट होता है तेजी से रिकवरी के साथ ही यह प्रक्रिया दर्द रहित है इससे आसपास के ऊतकों को कम नुकसान पहुंचाता है। क्रायोब्लेशन से अब एक ही छत के नीचे सभी प्रकार की एब्लेशन तकनीकों-रेडियोफ्रिक्वेंसी एब्लेशन, माइक्रोवेव एब्लेशन और क्रायोब्लेशन प्रक्रिया की जा सकती है। निश्चित तौर पर यह तकनीक कैंसर से पीड़ित मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी।