नई दिल्ली: दिल्ली के सरकारी अस्पताल में एडहॉक या तदर्थ सेवा पर काम करने वाली महिला चिकित्सकों को मातृत्व अवकाश नहीं दिया जा रहा है। बाबा भीम राव अंबेडकर अस्पताल में काम करने वाले ऐसी ही एक महिला चिकित्सक ने जब अवकाश के लिए आवेदन किया तो उसे नौकरी छोड़ने के लिए कहा गया, पति ने इस बावत फेसबुक पर पोस्ट डाली, जिसको 300 से अधिक महिला चिकित्सकों ने शेयर किया और कहां कि उन्हें भी मातृत्व अवकाश नहीं दिया गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार डॉ. सुनीता (बदला नाम) आठ महीने का गर्भ है, उसने मातृत्व सुख के अवकाश के लिए जब आवेदन किया तो अस्पताल प्रशासन ने कहा कि एडहॉक पर काम करने वाली महिला चिकित्सकों के लिए इस तरह की छुट्टी की व्यवस्था नहीं है, उन्हें नौकरी छोड़ने पड़ेगी। डॉ. सुनीता ने कहा कि एडहॉक पर दिल्ली में एक हजार से अधिक महिला चिकित्सक काम कर रही है, जिन्हें चुनाव से पहले सीएम ने स्थाई करने का आश्वासन दिया था। उन्हें स्थाई नहीं किया गया तो इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें मातृत्व अवकाश नहीं दिया जा चाहिए।
सुनीता के पति डॉ. अभिषेक बंसल ने बताया कि केन्द्र सरकार मातृत्व अवकाश 12 से 26 हफ्ते करने के लिए कह रही हैं, जबकि राजधानी की महिला चिकित्सकों को मातृत्व अवकाश के नाम पर नौकरी से निकाला जा रहा है। इस बावत डॉ. भीम राव अंबेडकर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुभाष सेठ ने बताया कि इस बावत दिल्ली सरकार के नियमों का ही पालन किया जा रहा है।
फेसबुक पर 300 शेयर
डॉ. अभिषेक बंसल ने पत्नी के मातृत्व अवकाश की परेशानी संबंधी फेसबुक पर एक पोस्ट डाली जिसमें जिस पर 336 जवाब मिले और 300 शेयर किए गए, मातृत्व अवकाश संबंधी अपनी परेशानी को साक्षा करते हुए एक महिला चिकित्सक ने लिखा कि उन्हें अवकाश नहीं मिला, नौकरी छोड़नी पड़ी और तीन साल बाद कम वेतन पर दोबारा कैरियर शुरू किया। मालूम हो कि मातृत्व सुविधा एक्ट 1961 के अनुसार गर्भवती महिला 12 हफ्ते का अवकाश ले सकती है। जिसमें छह हफते का अवकाश प्रसव के पहले लिया जा सकता है।