गलत डाइट की वजह से भी हो सकती है इनफर्टिलिटी

नई दिल्ली: चिकित्सीय जगत में फर्टिलिटी फूड को अब अधिक महत्व दिया जा रहा है। प्रजनन क्षमता से जुड़े अंतराष्ट्रीय अध्ययन की मानें तो भारत में प्रत्येक दस में तीन दम्पति संतानसुख से वंचित है, जो बाद में आईवीएफ या सेरोगेसी का विकल्प अपनाते हैं। लेकिन समस्या को पहले से भांप कर स्थिति से पहले ही बचा जा सकता है। इसके लिए सही उम्र में डायट चार्ट पर ध्यान देने की जरूरत है।
अंर्तराष्ट्रीय प्रजननक्षमता सेंटर की प्रमुख डॉ. रीता बक्शी ने बताया कि महिला या पुरुष किसी एक को संतानहीनता के लिए जिम्मेदार नहीं कहा जा सकता, जबकि बीते पांच साल में महिलाओं में 40 प्रतिशत की दर से और पुरुषों में 35 प्रतिशत की दर प्रजनन क्षमता कम हुई है। इसलिए अब इलाज के साथ ही डायट पर ध्यान देने की बात कही जा रही है।

हावर्ड विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक शोध में पहली बार फर्टिलिटी फूड का जिक्र किया गया। एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशियन साइंस की आहार विशेषज्ञ डॉ. शिल्पा ठाकुर ने बताया कि इसके लिए युवाओं को सही उम्र में आहार की तरफ ध्यान देना होगा। माइक्रोन्यूट्रियंट फूड, जिसमें एंटी ऑक्सीडेंट युक्त सब्जियां, टॉक्सिन रहित पेय पद्धार्थ और फैटी एसिड मुक्त चीजों के आहार शामिल करना चाहिए। फर्टिलिटी डायट में महिला और पुरुषों की अलग सूची होती है।

15 प्रतिशत आबादी अक्षम: प्रजनन क्षमता कम होने के आंकडे़ देश में तेजी से बढ़ रही है। अंतराष्ट्रीय प्रजनन एसोसिएशन के अनुसार देश की 15 प्रतिशत युवा दम्पति गर्भधारण में अक्षमर्थ है। जो आईवीएफ और सेरोगेसी तथा अन्य विकल्प से संतानसुख की कोशिश करते हैं। हालांकि देश में अब भी सेरेगोसी के नियम सख्त नहीं है। नये एआरटी (असिसटेंस रिप्रोडक्टिव थेरेपी) बिल की मदद से स्पर्म दान और सेरोगेसी के नये नियम बनाए जाएगें। बिल अभी संसद में प्रस्तुत नहीं किया गया है।

कैसे हो फर्टिलिटी डायट: महिलाओं के लिए
-आर्गेनिक फूड- अधिक से अधिक मात्रा में फल और हरी सब्जियों के इस्तेमाल को सही कहा गया है, जिसमें संतरा, पालक, गाजर और शलजम को खाने में शामिल करना चाहिए।
-डेयरी फूड- दूध, दही और पनीर के अलावा बादाम को डायट में शामिल करें। महिला को यदि पहले से पीसीओएस की परेशानी है तो डेयरी फूड से बचना चाहिए। इसकी जगह सोया दूध का प्रयोग करें।
मछली- इसमें मौजूद ओमेगा थ्री फैटी एसिड प्रजनन क्षमता के लिए सबसे बेहतर स्त्रोत माना जाता है। प्रोटीन और विटामिन ए का स्त्रोत होने के कारण मछली मासिक धर्म को भी नियंत्रित रखती है।

पुरुषों के लिए:
ग्रीन टी- अधिक कॉफी या कैफेन युक्त चीजों से बचें, इसकी जगह ग्रीन या लेमन टी का इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि सिगरेट और एल्कोहल की आदत के साथ कैफीन अधिक ले रहे हैं तो परेशानी होना निश्चित है।
-ब्रोकली- इसमें प्रचुर मात्रा में माइक्रोन्यूटिएंट होते हैं, फाइबर युक्त दस सब्जियों जितने पौष्टिक पद्धार्थ 200 ग्राम ब्रोकली में होते हैं। इसलिए इसे सलाद या फिर ऐसे ही भोजन में शामिल करने से पुरुषों में स्पर्म की संख्या को कम होने से रोका जा सकता है।
विटामिन ई- किसी भी सूरत में पुरुषों को नियमित डयट में विटामिन ई को जरूर शामिल करना चाहिए, इसे फैट घुलनशील विटामिन भी कहा जाता है। मछली के तेल के अलावा पपीता, पालक, बादाम और सूरजमुखी के तेल में विटामिन ई पाया जाता है।

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