जंकफूड में मानक से अधिक संरक्षित तत्व होने पर लिखनी होगी चेतावनी

नई दिल्ली,
मैगी, नूडल्स, पिज्जा, मैकरोनी और पास्ता जंक फूड की फेहरिस्ट में ऐसे कई नाम हैं, जो बच्चों के पसंदीदा फूड हैं। इनसब में एक बात सामान्य है कि बच्चे उनके स्वाद के दीवाने होते हैं। ऐसे में अगर उन्हे सेहतमंद भुना चना, पालक या फिर बेसन आदि से बनी चीजें दी जाएं तो उनका मुंह बन जाता है, लेकिन स्वाद की आड़ में बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। सेंटर फॉर साइंस एंड एंवायरमेंट की ताजा रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया गया कि नमक और शर्करा के साथ ही जंकफूड में संरक्षित तत्व भी मानकों से अधिक मिलाएं जा रहे हैं। सेंटर ने कहा कि है कि कंपनियों से कहा गया है कि वह इस बारे में पैकेड पर स्पष्ट चेतावनी दें कि अमुक खाद्य में मानकों से अधिक नमक, शर्करा या फिर संरक्षित तत्व हैं।
रिपोर्ट के अनुसार बाजार में उपलब्ध लगभग सभी नामी कंपनियों के जंक फूड में
नमक और वसा की मात्रा निर्धारित सीमा से खतरनाक स्तर तक ज्यादा पायी गयी है। सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने मंगलवार को ‘कोड रेड’ शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट के हवाले से बताया कि भारतीय बाजार में उपलब्ध अधिकतर पैकेट बंद खाना और फास्ट फूड में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मानकों से बहुत ज्यादा है। सुनीता नारायण ने संवाददाताओं को बताया कि एफएसएसएआई ने फास्ट फूड कंपनियों को इन उत्पादों में इस्तेमाल किये गये खाद्य पदार्थों का मात्रा पैकेट पर दर्शाने के लिए इस साल जुलाई में दिशानिर्देश तैयार किये थे, लेकिन सरकार ने इन्हें अब तक अधिसूचित कर लागू नहीं किया है।
उन्होंने बताया शोध में चिप्स, नूडल्स, पिज्जा, बर्गर और नमकीन सहित अन्य फास्ट फूड के सभी अग्रणी कंपनियों के 33 उत्पादों की प्रयोगशाला जांच में पाया गया कि इनमें नमक और वसा की मात्रा खतरनाक स्तर पर इस्तेमाल की जा रही है। नारायण ने कहा कि सरकार ने 2013 में इस विषय पर फास्ट फूड कंपनियों के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश बनाने के लिए एफएसएसएआई के विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी। उन्होंने कहा कि पिछले सात साल में तीन समितियां गठित हो चुकी हैं लेकिन अब तक कोई ठोस कानूनी पहल नहीं हुयी। फास्ट फूड कंपनियों द्वारा निर्धारित मात्रा में इन तत्वों के इस्तेमाल से परहेज होने के कारण के सवाल पर नारायण ने कहा, ‘‘नमक, वसा और शर्करा सहित अन्य तत्वों की मात्रा निर्धारित मानकों का पालन स्वाद पर भारी पड़ता है, इसलिये कंपनियां स्वाद के साथ कोई समझौता करने को तैयार नहीं है। ऐसे में सरकार दुनिया की इन नामी कंपनियों के दबाव में कानून बनाकर एफएसएसएआई के मानकों का पालन करने के लिये (उन्हें) मजबूर करने से बच रही है।’’ उन्होंने कहा कि जंक फूड में नमक, शर्करा और वसा सहित अन्य तत्वों की निर्धारित मात्रा के मुताबिक इस्तेमाल की मात्रा का इन उत्पादों के पैकेट पर स्पष्ट उल्लेख करने के लिये कानूनी बाध्यता को तत्काल लागू करने की जरूरत है। नारायण ने कहा कि जनस्वास्थ्य पर कंपनियों का हित भारी नहीं पड़े, इसके लिये फास्ट फूड उत्पादों में नमक, शर्करा और वसा का निर्धारित मात्रा से अधिक इस्तेमाल होने पर तंबाकू उत्पादों की तर्ज पर स्पष्ट चेतावनी (रेड वार्निंग) पैकेट पर दर्ज करने को अनिवार्य बनाया जाये।

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