नई दिल्ली,
एक समय वह था जबकि जेनेरिक दवाओं के बार में लोगों की जानकारी केवल इतनी थी कि दवा दवा केवल सरकारी अस्पतालों में मिलती हैं और अधिक कारगर नहीं होती हैं। जनता के इस मिथक को तोड़कर जेनेरिक दवाओं के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ाने के लिए स्वस्थ भारत ट्रस्ट ने विशेष काम किया। इसी बीच केन्द्र सरकार की जनऔषधि परियोजना की बदौलत अब लोगों को ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं में असर समझ आने लगा है। स्वास्थ्य जुड़े ऐसे ही कई अहम पहलूओं को जोड़ने और परिसंवाद कायम करने के लिए स्वस्थ भारत ट्रस्ट न्यास ने गांधी शांति प्रतिष्ठान में कार्यक्रम का आयोजन किया। स्वस्थ भारत के तीन आयाम जनऔषधि, पोषण और आयुष्मान विषय पर आयोजित परिसंवाद में जनऔषधि परियोजना से जुड़े केन्द्र सरकार के अधिकारी, आयुष्मान भारत योजना के सीईओ सहित स्वास्थ्य के क्षेत्र में लंबे समय से काम करने वाले कई लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम में स्वास्थ्य पत्रकारों को सम्मानित भी किया गया।
जनऔषधि परियोजना पर बोलते हुए प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना के सीईओ सचिन कुमार सिंह ने कहा कि भारत जैसे देश में जहां महंगी दवाइयों हैं, वहां जेनेरिक दवाओं की जरूरत और बढ़ जाती है। इस संदर्भ में केन्द्र सरकार की जनऔषधि और आयुष्मान भारत परियोजना एक दूसरे की पूरक है। जनऔषधि योजना को कारगर बनाने के लिए हर स्तर पर तेजी से काम किया जा रहा है, यही वजह है कि बीते तीन साल में देशभर में जनऔषधि केन्द्रों की संख्या 45000 हो गई है, जबकि अब तक 18000 से अधिक रिटेलर इससे जुड़ चुके हैं। सरकार अगले चरण में गांवों में भी जन औषधि के स्टोर शुरू करेगी। आयुष्मान भारत के कार्यकारी निदेशक अरूण गुप्ता ने कहा कि भारत में हर साल छह करोड़ लोग बीमारी के इलाज में होने वाली खर्च की वजह से गरीबी रेखा से नीचे चले जाते हैं, ऐसे लोगों के लिए आयुष्मान भारत योजना एक वरदान है। परियोजना के लिए एक हजार से अधिक बीमारियों का इलाज और निशुल्क सर्जरी की जा रही है।
मौके पर मौजूद जाने माने न्यूरोसर्जन डॉ. मनीष कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को सामाजिक आंदोलन के रूप में सामने लाने की जरूरत है। स्वास्थ्य बिना देश के आर्थिक विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती।
कार्यक्रम में मेवाड़ विश्वविद्यालय के निदेशक (प्रकाशन) शशांक द्विवेदी ने स्वस्थ भारत ट्रस्ट के चेअरमैन आशुतोष कुमार सिंह द्वारा लिखी गई पुस्तक जेनरिकॉमिक्स का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि जेनेरिक दवाओं के संदर्भ में ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए, मेवाड़ विश्वविद्यालय इसमें हर संभव मदद करेगा। पुस्तक में लेखक ने जेनेरिक दवाओं के बाजार को समझाने की कोशिश की है। मौके पर लंबे समय से स्वास्थ्य पत्रकारिता कर रहे पत्रकारों को सम्मनित भी किया गया, जिसमें मेडिकेयर न्यूज के वरिष्ठ पत्रकार से धनंजय, डीडी न्यूज के नितेन्द्र सिंह, युगवार्ता के संपादक संजीव कुमार, अमर उजाला से परिक्षित निर्भय, निशि भाट सहित कई लोगों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार उमेश चर्तुवेदी द्वारा की गई।