नई दिल्ली,
देशभर के डॉक्टर एक बार फिर सड़क पर हैं, दस दिन से जारी चिकित्सकों का धरना प्रदर्शन में सोमवार देर रात को पुलिस ने बल प्रयोग किया जिसमें कुछ चिकित्सकों को चोट भी आई। विरोध प्रदर्श कर रहे चिकित्सकों को सरोजनी नगर पुलिस स्टेशन ले जाया गया। लेकिन इसके बाद भी विरोध प्रदर्शन धमा नहीं, मंगलवार सुबह से दिल्ली सहित देशभर के कई अन्य अस्पतालों के आरडीए रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने हड़ताल में समर्थन दिया। इसी बीच एम्स आरडीए ने भी नीट काउंसलिंग में देरी पर चिकित्सकों का मंगलवार से समर्थन देने की बात कही है, जिसकी वजह से बुधवार को एम्स की चिकित्सीय सेवाएं भी बाधित हो सकती हैं। एम्स आरडीए ने जारी एक पत्र में कहा है कि यदि आरडीए की मांगें नहीं मानी गई तो बुधवार से एम्स की नॉन इमरजेंसी सेवाएं बंद कर दी जाएगी, जिसका असर ओपीडी और जरूरी जांचों पर पड़ेगा। विरोध कर रहे जूनियर चिकित्सकों पर बल प्रयोग करने का लगभग सभी संगठनों ने विरोध किया है दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने भी इस बात जारी एक पत्र में कि शांति पूर्वक प्रदर्शन कर रहे चिकित्सकों पर पुलिस को बल प्रयोग नहीं करना चाहिए। अब जानते हैं आखिर क्यों आरडीए विरोध प्रदर्शन या हड़ताल करने पर मजबूर है। नीट NEETPG काउंसलिंग क्या है इससे चिकित्सकों का वर्क लोड कितना कम होगा?
क्यों हो रही है नीट पीजी काउंसलिंग में देरी
नीट पीजी (नेशनल एलिजीबिटी कम एंटे्रस टेस्ट, पोस्ट ग्रेजुएट्स) #NEETPG Counselling 2021 देश में चिकित्सीय सेवा में जाने वाले छात्रों की योग्यता जांच की परीक्षा है, पीजी एंट्रेस का मतलब है कि राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा पास करने के बाद चिकित्सा शिक्षा की परास्नातक या पोस्ट ग्रेजुएट पढ़ाई के इच्छुक छात्र जो कि एमडी या एमएस डिप्लोमा कोर्स में में दाखिला लेना चाहते हैं वह इसके लिए आवेदन करते हैं। चिकित्सा शिक्षा में गुणवत्ता परक जांच के लिए यह व्यवस्था निजी और सरकारी दोनों ही मेडिकल शिक्षण संस्थानों में लागू होती है। दरअसल कोविड की वजह से वर्ष 2020 की पीजी नीट परीक्षा पहले ही तीन महीने देरी से हुई, इसके बाद काउसंलिंग न होने की वजह से 45000 पात्र चिकित्सक देश के किसी भी अस्पताल मे प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं और घर पर बैठे हैं। दरअसल नीट पीजी काउंसलिंग में ईडब्लूएस आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए यह मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में हैं जिसकी अगली सुनवाई छह जनवरी को होगी, इस बीच केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को ईडब्लूएस या इकोनॉमिक विकर सेक्शन की आयु सीमा संबंधित ड्राफ्ट कोर्ट में दाखिल करना है। एम्स के पूर्व आरडीए के डॉ. अमरिंदर सिंह मल्हि ने बताया कि सरकार मेडिकल शिक्षा के लिए इकोनोमिक वीकर सेक्शन की श्रेणी को किस आधार पर तैयार करना चाह रही यह नहीं पता, लेकिन इसमें देरी की वजह से लगभग एक साल नौ महीने से अधिक समय से देशभर के मेडिकल छात्र घर पर ही बैठे हुए हैं। वहीं केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार मामले पर गठित कमेठी जल्द ही अपनी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करेगी। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के अनुसार चिकित्सकों को देश हित के लिए काम पर लौट आना चाहिए।
कोविड की तीसरी लहर की आशंका और कोविड फटिग
दरअसल बीते दो साल से जारी कोरोना महामारी की वजह से डॉक्टर लंबे समय से काम कर रहे हैं। जैसा कि आईआईटी कानपुर(IITKanpur ) ने आशंका जताई है और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि भारत में फरवरी महीने के पहले हफ्ते में कोविड की तीसरी लहर आ सकती है ऐसे में काउसंलिंग नहीं होने की वजह से उन्हीं चिकित्सकों से 12 से 15 घंटे काम करना पड़ेगा जबकि मरीजों के इलाज के लिए रेजिडेंट चिकित्सकों की एक बड़ी फौज तैयार है लेकिन घर पर बैठी है। आरडीए का कहना है कि यदि देशभर के 45 हजार रेजिडेंट चिकित्सकों को काम करने का मौका दिया जाएगा तो पहले से काम कर रहे चिकित्सकों पर बोझ कुछ कम होगा। फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन या फोरडा (FORDA )का कहना है कि पेंडेमिक में जब वैक्सीन को ईएमयू दिया जा सकता है तो फिर नीट पीजी की काउंसलिंग का मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में क्यों नहीं सुलझाया जा सकता?
Inputs by NISHI BHAT