जिंदा को मरा बच्चा का मामले के लिए जाना जाएगा यह साल

नई दिल्ली: इस बीते वर्ष में स्वास्थ्य क्षेत्र की बात करें तो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के एक अस्पताल में जन्मे जुड़वा (twin) बच्चों में से एक के जीवित होने के बावजूद दोनो को मृत घोषित किये जाने और डेंगू (dengue) से मरने वाली बच्ची के परिजन की ओर से अस्पताल पर अधिक शुल्क वूसल करने के आरोपों के कारण निजी अस्पतालों पर सवालिया निशान लग गया। शालीमार बाग के मैक्स अस्पताल एवं गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में हुई इन दोनों घटनाओं ने मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरीं ।

ये खबरें समाचार पत्रों के पहले पन्ने पर जबकि समाचार चैनलों के प्राइम टाइम स्लॉट का हिस्सा बनीं । इससे स्वास्थ्य के क्षेत्र में निजी कंपनियों के प्रभाव एवं नियमों पर एक नई बहस छिड गई । लेकिन, इन निराशाजनक परिदृश्यों के बीच, वर्ष में कुछ अच्छी खबर भी आयी क्योंकि दिल्ली सरकार ने एक नई योजना के तहत मोटर दुर्घटनाओं, आग के हादसों और एसिड हमलों के शिकार लोगों का इलाज निजी अस्पताल में कराने का प्रस्ताव रखा।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस योजना को मंजूरी दे दी गयी है । इस योजना को अब दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल की मंजूरी का इंतजार है । मैक्स और फोर्टिस दोनों मामलों में मानव त्रासदियों की इन घटनाओं ने समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया। मैक्स मामले में परिजन ने सीबीआई जांच की मांग करते हुए उच्च न्यायालय जाने की बात कही थी।

30 नवंबर को अशीष कुमार की पत्नी ने दो जुडवा बच्चों को जन्म दिया । अस्पताल ने दोनो को मरा हुआ घोषित कर दिया । परिजन जब बच्चों का अंतिम संस्कार करने जा रहे थे तो पता चला कि एक बच्चा जीवित है। इसके बाद नवजात बच्चे को पीतमपुरा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां जीवन रक्षक उपकरणों पर एक हफ्ते तक जीवित रहने के बाद बच्चा मर गया। इस हादसे से परिजन शोक में डूब में गए और बाद में अस्पताल के आगे प्रदर्शन किया।

इस पर दिल्ली सरकार ने मैक्स अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया । इस पर अस्पताल ने अपील दायर की और स्वास्थ्य सेवा निदेशालय की ओर से लाइसेंस रद्द करने के आदेश पर रोक लगा दी गयी। जुड़वा बच्चों के पिता ओर अन्य लोगों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दरवाजा खटखटाया और उन्होंने उनकी मदद करने का आश्वासन दिया। वित्त आयुक्त की अदालत में लगायी गयी यह रोक नौ जनवरी तक है । इसी दिन मामले में अगली सुनवाई होगी । बच्चे के परिजन के अधिवक्ता ने बताया कि अगर उन्हें नहीं बुलाया जाएगा तो वह अदालत जायेंगे। इससे पहले फोर्टिस अस्पताल में हुई घटना पर भी खूब हंगामा हुआ। इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने अस्पताल से रिपोर्ट तलब की और हरियाणा सरकार को इसकी जांच करने का आदेश दिया। हरियाणा सरकार के एक मंत्री अनिल विज ने इसे हत्या करार दिया था।

सोर्स: भाषा

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