रिह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस को गठिया या फिर वात रोग भी कहा जाता है। बीमारी में खून में मौजूद रोगों से लड़ने वाले सेल्स के ऑटोइम्यून हो जाते हैं, जिससे मरीज को जोड़ों में तेज दर्द और सूजन की शिकायत होती है। रिह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस किसी भी उम्र में हो सकती है। अब तक हुए अध्ययन के अनुसार इसका असर महिलाओं पर अधिक देखा गया है। लंबे समय तक दर्द की वजह बनने वाली इस तकलीफ में मरीज को मानसिक बीमारी भी हो सकती है। इस बावत किए गए एक शोध के अनुसार आरए के मरीजों में ओसीडी (अब्सेसिव कंपलसीव डिस्ऑर्डर) का असर भी देखा गया है।
बीमारी में जोड़ों के दर्द के कारण मरीज की सामान्य दिनचर्या भी बाधित होती है। सही समय पर जांच और इलाज न होने के कारण जोड़ों में विकृति हो जाती है, तनाव, थकान और सामान्य नींद न आने के मरीज धीरे-धीरे सामान्य जीवन से कटने लगता है। एक समय के बाद बीमारी का असर मरीज की मानसिक स्थिति पर भी पड़ने लगता है। विशेषज्ञों की मानें तो आरए के एफडीए प्रमाणित इलाज में अभी तक मानसिक जांच को शामिल नहीं किया गया है। एफडीए प्रमाणित ईहेल्थमी और सोशल मीडिया से जुटाए गए पांच से दस साल से आरए का इलाज कराने वाले 12,235 मरीजों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि लंबे समय के इलाज के बाद मरीजों में ओसीडी के लक्षण देखे गए, ऐसे मरीजों में यादद्दश्त का काम होना भी अहम परेशानी देखी गई। एम्स की रिह्यूमेटॉयड ऑर्थराइटिस विभाग की डॉ. उमा कुमार ने बताया कि आरए की सामान्य दवाओं के साथ मानसिक स्वास्थ्य जांच भी की जानी चाहिए, ओसीडी जैसे मानसिक बीमारी में मरीज समाज की मुख्यधारा से अलग हो जाता है और उसमें एक समय के बाद आत्मविश्वास की कमी होने लगती है, इस स्थिति में मरीज खुद को इतना असहाय समझते हैं कि वह कोई भी काम नहीं कर पाते। इसका सबसे अधिक असर व्यक्तिगत जीवन पर पड़ता है कि वह शारीरिक संबंध बनाने में नाकाम होता है और एक अजीब तरह का डर उसके मन में बैठ जाता है। जिससे कुंठा पैदा होती है। विशेषज्ञों की मानें सामान्य दवाओं के साथ ही आरए में मरीज के मानसिक स्वास्थ्य की भी समय समय पर जांच की जानी चाहिए, ओसीडी क्योंकि असामान्य व्यवहार की बीमारी है, इसलिए जरूरी है कि मरीज को ऐसा पारिवारिक माहौल दिया जाएं, जिससे वह अपनी परेशानियों के बारे में खुलकर बात कर सकें, हालांकि इसके लिए काउंसलर की भी मदद ली जा सकती है। लेकिन कोशिश की जानी चाहिए की मरीज सहज होकर अपनों को परेशानी बता सकें।