झज्जर एम्स में हुआ पहले कोविड मरीज का डायलिसिस

नई दिल्ली,
कोरोना काल में चिकित्सा जगत में सफलता की कई नई कहानियां रची जा रही हैं, इसमें हमारे फ्रंट लाइन मेडिकल वर्कर की बड़ी भूमिका है। झज्जर एम्स में कोरोना मरीज का सफलता पूर्वक डायलिसिस किया गया। जिसमें संस्थान के नर्सिंग ऑफिसर नंद भंवर सिंह कनावत की अहम भूमिका रहीं। एनओ नंदभंवर की 31 जनवरी को शादी हुई थी और फरवरी सात से वह लगातार कोविड ड्यूटी कर रहे थे।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर झज्जर एम्स के नर्सिंग ऑफिसर (हीमोडायलिसिस यूनिट) के पद पर तैनात नंद भंवर सिंह ने डायलिसिस को पूरा करने के लिए नौ घंटे तक पीपीई किट पहन कर रखा, क्योंकि डायलिसिस मशीन नर्ई थीं, और ज्यादातार तकनीशियन मुख्य एम्स दिल्ली में तैनात हैं। इसलिए दो तकनीशियन की ड्यूटी झज्जर एम्स में लगाई गई। नंद भंवर सिंह ने बताया कि दूसरे तकनीशियन को कोरोना पॉजिटिव होने के कारण उसे क्वारंटाइन पर भेज दिया गया था, इसलिए डायलिसिस की पूरी जिम्मेदारी मुझ पर ही थी। नंद भंवर सिंह फरवरी महीने से ही कोविड ड्यूटी के लिए झज्जर में तैनात हैं और दो दिन पहले ही अवकाश लेकर अपने घर भीलवाड़ा राजस्थान गए थे। इसी बीच कोरोना के डायलिसिस मरीज को भर्ती किया गया और नंद भंवर को रातों रात झज्जर एम्स पहुंचना पड़ा। यह झज्जर एम्स का न सिर्फ पहला डायलिसिस था, बल्कि डायलिसिस की नई मशीन पर पहला डायलिसिस था, जिसे कोई प्रशिक्षित तकनीशियन ही ऑपरेट कर सकता था। नौ घंटे की कड़ी मश्कक्त के बाद मरीज का डायलिसिस पूरा हुआ, इस बीच नौ घंटे तक पीपीई किट पहनने से तकनीशियन के पांच पसीने से भर गए। लंबे समय तक पीपीई किट पहनने की और भी कई दिक्कतें हैं, जिसका सामना करते हुए मरीज को सही समय पर इलाज दिया गया। मालूम हो कि झज्जर एम्स में पहले से ऐसे मरीजों का ध्यान रखा गया कि यदि कोरोना संक्रमित किसी मरीज को डायलिसिस की जरूरत हुई तो उसे अन्य अस्पताल रेफर नहीं किया जा सकेगा, इसलिए संस्थान में ही नई डायलिसिस मशीन लगाई गई, जिसका रविवार को सदुपयोग हो सका।

क्या थी चुनौतियां
– नई मशीन होने के कारण डायलिसिस के दौरान बार बार खून बाहर जा जाता था, जिससे मरीज की किडनी और लिवर में खून का थक्का भी जम सकता था। इसलिए लगातार मॉनिटरिंग जरूरी थी।
– पीपीई किट लंबे समय तक पहनने से फेस मास्क पर फॉग आ जाता है, जिसकी वजह से मशीन को सही ढंग से ऑपरेट करना चुनौती थी, थोड़ी सी भी चूक से मरीज की जान को खतरा हो सकता था।
– झज्जर एम्स में केवल दो तकनीशियन डायलिसिस के लिए तैनात किए गए, इसमें एक कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से क्वारंटाइन पर था।

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