नई दिल्ली: जिस प्रकार अमेरिका की सोसायटी का एक हिस्सा ट्रंप की जीत के बाद भी इसे स्वकार को तैयार नहीं हो रही है और प्रदर्शन पर उतारू है, ठीक उसी प्रकार भारत में कुछ लोग नोटबंदी का सामना नहीं कर पा रहे हैं। पिछले दिनों नोटबंदी के बाद देश में सुसाइड के मामले को मेंटल हेल्थ से ही देखा जा रहा है। नोटबंदी का मेंटल हेल्थ पर क्या असर हुआ है, इसको लेकर एम्स में चर्चा की जाएगी, जिसमें देश ही नहीं दुनिया के जाने माने मनोचिकित्सक हिस्सा लेंगे।
एम्स के डॉक्टरों का मानना है कि जब कभी सोसायटी में बड़ा बदलाव होता है तो इसका असर फीजिकल हेल्थ के साथ साथ मेंटल हेल्थ पर भी होता है। अभी जिस प्रकार अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत को वहां की कुछ जनता स्वीकार नहीं कर पा रही है। ऐसे कुछ भारतीय लोग भी अमेरिका में हैं, जो ट्रंप की जीत को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं और अमेरिका छोड़ने की बात कह रहे हैं। यह एक तरह से समाज में हुए बड़ा बदलाव को स्वीकार नहीं करना या फिर इससे अडजस्ट नहीं कर पाने की वजह से होता है।
दिल्ली में वर्ल्ड कांग्रेस का आयोजन वर्ल्ड असोसिएशन फॉर सोशल साइकायट्री द्वारा किया जा रहा है। एम्स के साइकायट्री डिपार्टमेंट के एचओडी डॉक्टर एस खंडेलवाल ने कहा कि स्टडी और थ्योरी दोनों इस बात की ओर संकेत देता है कि जब भी समाज में कोई बड़ा बदलाव होता है तो उसका इफेक्ट मानसिकता पर भी होता है, लोगों को कई तरह से परेशान करता है। जो लोग इसे अडजस्ट नहीं कर पाते हैं वो लंबे समय तक स्ट्रेस या एंजायटी के शिकार रहते हैं। अगर समय पर इलाज और परिवार का साथ नहीं मिलता है तो स्थिति और भी खराब हो जाती है।
डॉक्टर ने कहा कि देश में नोटंबदी के बाद कुछ ऐसी घटना का जिक्र मीडिया के जरिए सामने आया है, जिसमें सुसाइड करने या स्ट्रेस की बात कही जा रही है। इस स्ट्रेस से जितना जल्दी हो बाहर आना चाहिए। यह समाज में एक बड़ा बदलाव है और इसे स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि 30 नवंबर से 4 दिसंबर के बीच होने जा रहे इस मेंटल हेल्थ कांग्रेस में नोटबंदी पर भी चर्चा होगी। इस चर्चा में पूरे विश्व के जाने माने मनोचिकित्सक हिस्सा लेंगे।