नई दिल्ली,
दिल्ली सरकार द्वारा सरगंगाराम अस्पताल पर एफआईआर करने का फैसला उल्टा पड़ता नजर आ रहा है। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने एकजुट होकर सरकार के इस फैसले का विरोध किया है और कहा कि कोविड काल में दिल्ली के सभी प्राइवेट अस्पताल के मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ ने दिनरात लोगों का इलाज किया है और अब सरकार डॉक्टर्स का ही मनोबल गिरा रही है। डीएमए के 15000 सदस्यों ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाई है और कहा है कि डीएमए की चार सूत्रीय मांगों पर सरकार तुरंत विचार करें।
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. बीबी वाधवान ने कहा कि दिल्ली सरकार को डीएमए और सरकार के अधिकारियों के लिए बीच तुरंत एक कोर्डिनेशन कमेटी बनानी चाहिए, जिससे कोरोना के इलाज में लगे कोरोना वॉरियर के काम को समझा जा सके। सभी अस्पताल और नर्सिंग होम में कोरोना टेस्टिंग और इलाज के लिए पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। कोरोना के गंभीर मरीजों को तुरंत बड़े अस्पतालों मे रेफर करने की सुविधा और तुरंत इलाज मिलना चाहिए। एरिया के आधार पर नोडल अधिकारी तैनात किए जाने चाहिए, जिससे उस नोडल अधिकारी के अंर्तगत आने वाले निजी अस्पताल और नर्सिंग होम कोरोना मरीजों से संबंधित जानकारी तुरंत अपडेट करा सके। डीएमए ने सरगंगाराम अस्पताल पर दिल्ली सरकार द्वारा की गई एफआईआर का कड़ा विरोध किया है और कहा कि सरकार के ऐसे फैसले डॉक्टर्स और मेडिकल स्टॉफ का मनोबल तोड़ रहे हैं, डीएमए से जुड़े 15000 डॉक्टर्स ने इसका विरोध किया है।