दिल्ली का बढता तापमान और तेज धूप गर्मी ही नहीं बल्कि आंखों के लिए भी तकलीफ बढ़ा रही है। एम्स के आरपी सेंटर और आईसीएमआर की मदद जारी शोध के पायलेट प्रोजेक्ट में यह बात सामने आई है। जिसमें पाया गया कि पहले की अपेक्षा धरती पर अब सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें अधिक मात्रा में पहुंच रही हैं। जिसकी वजह से सीधे धूप के संपर्क में आने से आंखों में खुजली, शुष्कता और खिंचाव की समस्या बढ़ रही है।
एम्स के आरपी सेंटर की प्रो. राधिका टंडन ने बताया कि 40 से 45 डिग्री के तापमान में सूरज की अधिक सघन या कहें सक्रिय यूवी किरणों का असर दिखने लगा है। मई से जून महीने के बीच भूमंडलीय दशा में सूरज भारत दक्षांश रेखा की उस स्थिति के बीच से गुजरता है, जबकि यूपी किरणों को सबसे अधिक असर हो सकता है। ऐसे में आंखों में सुरक्षित चश्मों का प्रयोग न किया जाएं तो आंखों में खुजली, पानी आना और ड्राई आई की शिकायत हो सकती है। यह किरणें त्वचा को भी प्रभावित करती हैं। शोध में उन लोगों को शामिल किया गया जो पहले से आंखों की किसी भी तकलीफ से पीड़ित नहीं थे। एम्स में पांच साल के प्रोजेक्ट के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के 30 क्लस्टर ग्रुप बनाकर सर्वेक्षण किया जाएगा। प्रत्येक क्लस्टर में 150 लोग शामिल होंगे, जिसमें 40 साल के आयु वर्ग से लेकर 5-15 साल के बच्चें भी शोध के दायरे में होगें।
कैसे हुआ अध्ययन
ग्रामीण शहरी क्षेत्र के पांच हजार लोगों को गहन परीक्षण कर इस बात का पता लगाया जाएगा। पायलेट प्रोजेक्ट के आंकड़े कहते हैं कि धरती तक पहुंचने वाली यूवी बी किरणों की वजह से मोतियाबिंद, शुष्क आंखें (पीट्रिगियम) वरनल केराटोकंजेक्टिव आदि तकलीफें देखी गई हैं। हालांकि लोगों को यह पता ही नहीं है कि आंखों की यह दिक्कत सीधे तेज धूप के संपर्क में आने की वजह से हुई है।
क्या हो सकती हैं सावधानियां
-आंखों को धूप के सीधें संपर्क से बचाएं
-प्रत्येक दो महीने में आंखों का ही नहीं, रेटिना की भी जांच कराएं
-खीरा, बर्फ की सिंकाई व ठंडे पानी से आंखें धोना होगा कारगर
-कंप्यूटर के संपर्क में रहने से भी रेटिना प्रभावित होता हैं, अधिक प्रयोग से बचें
-आंखों की थकान को समझें, यदि जलन या लालिमा हों तो चिकित्सक से संपर्क करें