नई दिल्ली
देशभर में थैलासिमिया के एक लाख मरीज हैं। थैलासिमिया एक तरह का जेनेटिक डिस्ऑर्डर, जिसमें खून में जरूरत से अधिक हीमोग्लोबिन बनने लगता है। अधिक हीमोग्लोबिन होने की वजह से तेजी से लाल रक्त कणिकाओं का क्षय होने लगता है, और मरीज को ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत होती है। इसमें मरीज को रक्त का थक्का जमने से रोकने वाला फैक्टर चढ़ाया जाता है, एक अनुमान के अनुसार देश में इस समय 42 लाख लोग थैलासीमिया के वाहक हैं। सफदरजंग अस्पताल के ओबस्टेट्रिक और गाइनोक्लॉजी विभाग और नारची नेशनल एसोसिएशन ऑफ रिप्रोडक्टिव एंड चाइल्ड हेल्थ की मदद से कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में पदयात्रा आयोजित की गई। वॉकथॉन के जरिए लोगों को थैलासीमिया जेनेटिक डिस्ऑर्डर की जानकारी दी गई।
नारची दिल्ली चैप्टर की प्रमुख डॉ. अचला बत्रा ने बताया कि थैलासीमिया से बचा जा सकता है। इसलिए बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करना जरूरी है। मौके पर मौजूद फॉगसी की प्रमुख डॉ. प्रतिमा मित्तल ने बताया कि विवाह पूर्व काउंसलिंग से काफी हद तक बीमारी से बचा जा सकता है। कार्यक्रम में सफदरजंग अस्पताल की डॉ. रजनी अग्रवाल, नरिंदर कौर सहित कई लोग मौजूद थे।