दवा पर कंट्रोल नहीं होने की वजह से बढ़ रहा है कारोबार: आईएमए

नई दिल्ली: बाजार में नकली दवाओं के बढ़ते यूज और इसके खतरे को देखते हुए इंडियन मेडिलक असोसिएशन (IMA) ने लोगों से जहां सरकार ने इस पर कंट्रोल को और स्ट्रांग करने की मांग की है, वहीं आम जनता को भी नकली और असली दवा के प्रति जागरू करने का काम शुरू किया है। आईएमए का कहना है कि इन दिनों बाजार में क्रोसिन, वोवरन, बेटाडीन, कोसाविल जैसी नकली दवाएं उपलब्ध हैं जो असल ब्रांड की नकल और कम गुणवत्ता की होती हैं।

आईएमए का कहना है कि नकली दवाएं वो होती हैं जिन पर जान बूझ कर धोखाधड़ी के लिए किसी ओर दवा के नाम से मिलते जुलते लेबल लगाए जातें और लोगों भ्रमित करने के लिए उन की असल पहचान छुपा ली जाती है। इसका मकसद​दवा निर्माता और उसमें मौजूद तत्वों की असली पहचान छुपा कर प्रचलित दवा के नाम का फायदा उठा कर मुनाफा कमाना होता है। इसमें लेबल पर दिए गए साल्ट हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है।

इस बारे में में आईएमए के नैशनल प्रेसिडेट डॉ के के अग्रवाल नकली दवाओं के बढ़ते बाजार के पीछे कई कारण है, जिसमें कंट्रोल नहीं हो पाना, दवाओं की निगरानी सही से नहीं किया जाना, दवाओं की क्वालिटी की जांच करने वाली लैब की कमी की वजह से नकली दवाओं के कारोबार फैल रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली एनसीआर के अलावा बहादुरगढ़, गाज़ियाबाद, अलीगढ़, भिवंडी, बल्लभगढ़, सोनीपत, हिसार और पंजाब में नकली दवाओं का कारोबार फैला हुआ है। एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक आगरा नकली दवाओं का केंद्र बनता जा रहा है।

डाक्टर अग्रवाल कहते हैं कि डब्लयूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल नकली दवाओं की वजह से 1 मिलियन लोगों की जान चली जाती है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए भारत को नकली दवाओं को खत्म करने के लिए पीछे नहीं रहना चाहिए। दवाओं की जांच की प्रणाली बनाना इस ओर बेहतर कदम होगा।

कानून: अगर डी एंड सी एक्ट के अध्याय 4 सेक्शन 17बी की परिभाषा के दायरे में आती है तो वह दवा नकली हो सकती है:
: अगर यह ऐसे नाम के साथ बनाई गई है, जो किसी ओर कंपनी की दवा का नाम है, अगर यह किसी दूसरी दवा की नकल है या दूसरी दवा का विकल्प है या दूसरी दवा से ​इस तरह मिलती जुलती है कि कोई धोखा ख जाए या इसके लेबल या कंटेनर पर किसी दूसरी दवा का नाम है
: जब तक कि सीधे तौर पर इस दवा से जुड़ी सही बातों का वर्णन और दूसरी दवा से ना मिलते जुलते होने का प्रमाण दिया हो, या इसके लेबल या कंटेनर पर किसी ऐसे व्यक्ति या कंपनी का नाम हो जिसे इस दवा का निर्माता बताया गया हो पर वह नकली नाम हो या कंपनी मौजूद ही ना हो; या अगर इसे पूरी तरह या इसके किसी हिस्से को दूसरी दवा या तत्व से बदल दिया गया हो; या यह इसे उस निर्माता का उत्पाद दिखाने की कोशिष की जाए जिसका यह असल में ना हो।

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