नई दिल्ली। अब तक आंखों से दिल की बात पता लगने का दावा किया जाता था, लेकिन नये अध्यन में दांत और दिल का सीधा रिश्ता बताया गया है। यदि दांत स्वस्थ्य हैं तो दिल की धमनियों से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा 40 फीसदी कम हो जाता है। दांतों की मांसपेशियों में सूजन पैदा करने वाले वायरस दिल को धमनियों के रास्ते को भी संकरा करने के लिए जिम्मेदार माना गया है।
दांतों से दिल के रिश्ते को जोड़ने का खुलासा मैक्स अस्पताल के दो चिकित्सकों ने किया है। मैक्स अस्पताल की दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. स्मृति बॉउरी ने बताया कि सभी उम्र के 660 मरीजों पर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि जिन मरीजों के मसूढ़ों में सूजन और दर्द की शिकायत है, तीन से चार साल के बाद उनके दिल की धमनियों में संकुचन को पाया गया। डॉ. स्मृति कहती हैं कि दांतों की मांसपेशियों में सूजन (पेरियोडॉन्टल) के लिए सी रिएक्टिव प्रोटीन (एचएस-सीआरपी) को जिम्मेदार माना जाता है। लंबे समय तक दांतों में सूजन के कारण अधिक मात्रा में एचएच-सीआरपी रक्त वाहनियों के जरिए दिल की धमनियों पहुंच जाता है। इस स्थिति को सब एक्यूट बैक्टीरियल इंडोकार्डिटिस्ट कहा जाता है।
अब तक धमनियों के मार्ग अवरूद्ध होने पर कोलेस्ट्राल, कैल्शियम और अन्य फैटी जांच को प्रमुखता दी जाती थी। प्रीडोंटिक्स कार्डियो इंफैक्शन की संभावना को देखते हुए दिल की बीमारी का पता लगाने के लिए दांत को भी ध्यान में रखा जाएगा। मैक्स अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नीरज भल्ला ने बताया कि उम्र बढ़ने के साथ ही दांत और दिल दोनों प्रभावित होने लगते हैं, अध्ययन में यह भी देखा गया कि सी रिएक्टिव प्रोटीन का स्तर यदि निम्न है तो धमनियों के संकुचन का खतरा भी कम है। दिल की दवाओं को तैयार करने के लिए अब सी रिएक्टिव प्रोटीन पर अध्ययन किया जा रहा है।