एम्स द्वारा आयोजित चौथे वार्षिक सम्मलेन दिवाकर वैश्य ने दुनिया के सबसे सस्ते कृत्रिम हाथ का प्रदर्शन किया, जैसे आप सोचेंगे वैसे ही हाथ चलने लगेगा। इस कृत्रिम हाथ को दिवाकर वैश ने बनाया है जो उनके दो वर्षों की कड़ी मेहनत की देन है। इस हाथ को इसी वर्ष में लांच किया जायेगा। एम्स के डॉक्टर्स की राय व तकनिकी बदलाव हेतु इसको प्रदर्शित किया गया, जिससे की इसमें और नए बदलाव किये जा सकें जिससे रोगी इस कृतिम हाथ को पहनकर अपने रोज़- मर्रा के काम आसानी ने कर सके और इसकी कीमत को भी ऐसा रखा जाये की कोई भी गरीब रोगी इस कृतिम हाथ का लाभ उठा सके ।
दिवाकर वैश्य ने कहा कि इस कृतिम हाथ को चलाने के लिए किसी भी बटन की आवश्यकता नहीं होती बल्कि यह आपके साधारण हाथ की तरह काम करता है । इस हाथ को बनाने के लिए कनवेंशनल तकनीक से अगल दिवाकर ने नई तकनीक का यूज किया है, जिससे यह सबसे सस्ता और मजबूत हाथ होगा, साथ ही यह हर इंसान के हाथ के साइज के आकार का भी संभव होगा। यही नहीं जरूरत मंद लोगों के काथ के कलर के अनुसार ही हाथ बनाया जाएगा । इसकी कीमत साल के अंतिम माह तक एक लांच के माध्यम से बता दी जाएगी।
उन्होंने आगे कहा कि यह अविष्कार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया अभियान को प्रोत्साहित करने का माध्यम है। इससे पहले दिवाकर ने पैरालाइस ग्रस्त मरीजों के लिए माइंड कंट्रोल व्हील चेयर लांच की थी इस व्हील चेयर को नियंत्रित करने के लिए आपको अपने विचारों के अलावा किसी ओर चीज की जरूरत नही होती । इसकी कीमत भी दुनिया में सबसे कम है भारतीय रोबोटिक्स कम्पनी ऐ-सेट ट्रनिंग एण्ड रिसर्च इंस्टीयुट पिछले पांच वर्षो से मस्तिष्क संवेदन मशीन पर काम कर रही है । इससे पहले भी ऐ-सेट ने भारत का पहला थ्री डी प्रिंटेड रोबोट का निर्माण किया था। इस अदभुत रोबोट की यह खासियत है कि आप अपने मन में कुछ भी सोच रहे हैं यह रोबोट स्वतः उसको जान लेता है उदारहण के तौर पर आपको प्यास लग रही है तो ये रोबोट आपको बता देगा की । उसके बाद पैरालाइस ग्रस्त मरीजों के लिए दुनिया की पहली माइंड कंट्रोल व्हील चेयर को लॉच किया जो इस रोग से पीड़ित रोगी के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी।