नई दिल्ली: डिमेन्शिया इंडिया रिपोर्ट के अनुसार इस समय दिल्ली में 20 हजार महिला व पुरूष डिमेन्शिया और उससे संबंधित अल्जाइमर बीमारी के शिकार हैं। जबकि देश में इस समय 37 लाख लोग भूलने की गंभीर बीमारी के शिकार हैं। अनुमान के मुताबित प्रति मरीज बीमारी पर पांच से छह लाख रुपए खर्च आता है। जबकि 90 प्रतिशत अल्जाइमर को यदि सही समय पर पहचान लिया जाएं तो इसकी गंभीर स्थिति से बच सकते हैं।
पहचाने शुरूआती लक्षण
अल्जाइमर रिलेटेड डिस्आर्डर सोसाइटी ऑफ इंडिया के कर्नल वीके खन्ना कहते हैं कि 60 साल की उम्र के बाद सिर दर्द आंखों की रोशनी कम होना, हर छोटी बात को भूल जाना आदि आदतें बीमारी के शुरूआती लक्षण होते हैं। सोसाइटी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर कर्नल वीके खन्ना कहते हैं बीमारी से संबंधित अध्ययन कहता है कि सेवानिवृत या फिर 60 की उम्र का आंकड़ा पार करने के बाद सामाजिक कार्यो में गतिविधि बढ़ानी, देखा गया है कि सामाजिक रूप से सक्रिय लोगों पर मस्तिष्क की भूलने की बीमारी का असर कम होता है।
समझें बीमारी में अंतर
डिमेन्शिया- इसे अल्जाइमर का शुरूआती लक्षण माना जाता है। इस स्थिति में मरीज को सिर में हमेशा तेज दर्द होता है। वह छोटी-छोटी बातें भूलने लगता है, जैसे उसने कब खाना खाया या फिर अपनें बच्चों का नाम आदि भी मरीज को याद नहीं रहता है। न्यूरोलॉजिस्ट मानतें हैं कि परिवार का अधिक से अधिक ध्यान बुजुर्गो को इस बीमारी से बचा सकता है।
अल्जाइमर- इस स्थिति में मस्तिष्क के न्यूरोन्स शरीर के विभिन्न हिस्सों को संदेश पहुंचाने में असफल हो जाते हैं। स्थिति यह होती है कि मरीज को भूख, पेशाब और अन्य दैनिक दिनचर्या की जरूरत का भी एहसास नहीं होता है। बीमारी के अब तक पंजीकृत मरीजों में किसी भी मृत्यु बीमारी की वजह से नहीं हुई है, इसलिए डॉक्टर इसे इलाज योग्य बीमारी मानते हैं।