पारा गिरा, पांच बीमारियां बढ़ाएगीं तकलीफ

नई दिल्ली,

सुबह शाम गिरता पारा और दिन की धुंधली धूप ने सर्दी का एहसास कराना शुरू कर दिया है। गर्मी में सामान्य रहने वाली कुछ बीमारियां सर्दियों में तकलीफ देना शुरू कर देती है। डायबिटीज के मरीजों के लिए सर्दियों में ग्लूकोज स्तर को नियंत्रित रखना अधिक जरूरी हो जाता है। मेटाबालिक क्रिया बदलने के कारण गर्मी की अपेक्षा सर्दी में डायबिटीज मरीजों को आंखों और पैरों का ज्यादा ध्यान चाहिए। धमनियों में संकुचन के कारण हर साल सर्दियों में ही हृदयघात के मरीजों का आंकड़ा बढ़ जाता है। जबकि साइनस और माइग्रेन ऐसी बीमारियां हैं, जो कामकाजी युवाओं को बीमार बना देती हैं।

 

डायबिटीज- (Diabetes ) दिल्ली डायबिटीक फोरम के डॉ. एके झिंगन कहते हैं कि सर्दियों से पहले डायबिटीज मरीजों को अपनी दवाएं दोहरा लेनी चाहिए। सर्दियों में व्यायाम की कमी और मेटाबॉलिक प्रक्रिया बदलने की वजह से ग्लूकोज अनियंत्रित हो जाता है। दूसरी सबसे बढ़ी दिक्कत पैरों की सूजन की भी होती है। यदि खून में ग्लूकोज की मात्रा 250 एमजीडीएल से अधिक आ रही है तो पेशाब में कीटोन्स की जांच अवश्य कराएं, इस स्थिति में तेजी से पैरों में सूजन बढ़ती है। हालांकि कीटोन्स आने पर शारीरिक परिश्रम अधिक न करें और योगा से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। दवाओं के साथ ही डायट चार्ट पर भी ध्यान दें। हरी सब्जियां और रेशेदार फल फायदेमंद हो सकते हैं।

 

हृदयघात– (Heart Attack ) नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. ओपी यादव कहते हैं कि सर्दी में दिल की बीमारी के 40 प्रतिशत मरीजों दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। जिसकी प्रमुख वजह गर्मियों की अपेक्षा सर्दी में वसा का इस्तेमाल अधिक और व्यायाम की कमी को माना जाता है। सर्दियों में धमनियों में संकुचन बढ़ जाता है इसलिए खून की सामान्य आपूर्ति बाधित होती है। शारीरिक श्रम की कमी के कारण अतिरिक्त कैलोरी बर्न नहीं हो पाती और कोलेस्ट्राल तेजी से धमनियों में जमने लगता है। हृदयघात से बचने के लिए जरूरी है कि खाने में अच्छे कोलेस्ट्राल की मात्रा बढ़ानी जरूरी है। 

 

साइनस– (Sinus) कामकाजी युवा में सर्दियों में साइनस की तकलीफ बढ़ जाती है। इसे एलर्जिक साइनस भी कहा जाता है। जीटीबी अस्पताल के डॉ. कुलदीप के अनुसार सर्दियों में वायुमंडल में ऑक्सीजन की कमी होती है, ऐसे में अस्थमा या फिर सीओपीडी के मरीजों में सांस लेने में दिक्कत होती है। एक हफ्ते से अधिक जुखाम को साइनस में बदलते देर नहीं लगती, इसलिए साधारण फ्लू पर ही इसे रोकना चाहिए। डॉक्टरों के अनुसार साइनस से बचने का प्रारंभिक उपाय इम्यूनिटी को बढ़ाना कहा जा सकता है। इसके लिए खाने में विटामिन सी को शामिल कर सकते हैं।

 

माइग्रेन (Migrane)– दिल्ली पेन क्लीनिक के डॉ. जीपी दुरेजा कहते हैं 39 प्रतिशत लोगों को सर्दी माइग्रेन की समस्या होती है, जिसमें से 12 प्रतिशत ऐसे होते हैं जिन्हें साइनस के कारण माइग्रेन होता है, इसमें बाइक सवार का प्रतिशत सबसे अधिक है, जो ठंड के सीधे संपर्क में रहते हैं। माइग्रेन को एंटी इंफ्लेमेटरी दवाओं से ठीक किया जा सकता है। बावजूद इसके रासायन युक्त खाद्य पद्धार्थ जैसे सिरका, संरक्षित खाद्य पद्धार्थ माइग्रेन बढ़ाते हैं। चार हफ्ते से अधिक सिरदर्द है तो एंटीबायोटिक दवाएं नहीं खानी चाहिए।

 

जोड़ो का दर्द- (Joints pain) आर्थराइटिस का दर्द भी सर्दियों में ही अधिक तकलीफ देता है। इससे बचने की तैयारी सर्दियों से पहले ही शुरू कर देनी चाहिए। विटामिन डी का सेवन दर्द की अधिकता से बचा सकता है। बावजूद इसके जोड़ों की समस्या के शिकार मरीजों को सर्दी से पहले कुछ तैयारी करनी चाहिए। एम्स के आर्थोपेडिसियन डॉ. सीएस यादव कहते हैं कि व्यायाम की जगह सर्दी में साइकिलिंग अधिक बेहतर हो सकती है। नी कैप पहनना भी बेहतर उपाय है। जोड़ों के दर्द के शिकार 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को सर्दी में ऐसे व्यायाम नहीं करने चाहिए, जिससे जोड़ों में अधिक घर्षण हो। इससे कार्टिलेज की क्षति होती है।

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