घुटना बदलने के लिए अब चिकित्सक अधिक बेहतर तकनीक का इस्तेमाल कर सकेंगे। टोटल नी या पूरा घुटना बदलने की जगह अब घुटने के एक हिस्से को भी खराब होने पर बदला सकेगा। इसके लिए एम्स ने पहली बार जर्मनी आधारित कंप्यूटर नेविगेशन तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया है। घुटना प्रत्यारोपण के लिए तक चिकित्सक मरीज को उस परिस्थति में ही घुटना बदलने की सलाह दे सकते थे, जबकि पूरा घुटना खराब हो गया हो। जबकि नई तकनीक से घुटने के एक खराब हिस्से को भी बदला जा सकेगा। साफ्टवेयर के इस्तेमाल के बाद सर्जरी की सफलता का प्रतिशत अधिक भी पहले से बेहतर होगा।
एम्स के आर्थोपेडिक विभाग के प्रमुख डॉ. राजेश मल्होत्रा ने बताया कि घुटने के तीन प्रमुख जोड़ा पर शरीर का सबसे अधिक भार होता है। जिसे मीडियल, लेटरल और पटेलोफिमोरल कंमार्टमेंट कहा जाता है। किसी कारण वश यदि मरीज के किसी एक भी हिस्से पर शरीर का भार अधिक पड़ता है तो वह हिस्सा अन्य जोड़ की अपेक्षा अधिक घर्षण करता है और उस हिस्से में ही दर्द अधिक होता है। अब तक ऐसे मरीजों को तब तक घुटना प्रत्यारोपण की सलाह नहीं दी जाती थी जबतक कि तीनो अन्य हिस्से भी बदलने की स्थिति तक न पहुंच जाएं। लेकिन नईतकनीक से नेविगेशन की मदद से खराब हिस्से को भी बदला जा सकेगा। यूनिकॉनडाइलर घुटना प्रत्यारोपण तकनीक में पूरे घुटने की ओपेन सर्जरी करने की जगह खराब हिस्से को बदला जा सकेगा। डॉ. मल्होत्रा ने बताया कि कंप्यूटर आधारिक साफ्टवेयर सर्जन के लिए एक तरह का जीपीएस की तरह काम करता है, जो सर्जरी के दौरान इस बात की जानकारी देता है कि घुटना बदलने के लिए जिस धातु का इस्तेमाल प्रयोग किया जा रहा है वह सही जगह फिक्स हुआ या नहीं। नेविगेशन तकनीक के सही सर्जरी होने का प्रतिशत अधिक बेहतर देखा गया है। नई तकनीक की जानकारी के लिए एम्स ने लाइव सर्जरी का आयोजन किया गया, जिसमें अन्य चिकित्सकों को भी इस तकनीक की जानकारी दी गई।
नेविगेशन सर्जरी से दिल सुरक्षित
80 साल की उम्र के बाद घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी के लिए इस्तेमाल की गई नेविगेशन विधि दिल को सुरक्षित रखने के लिए कारगर मानी गई है। इस बावत एम्स के आर्थोपेडिक्स विभाग द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा किया गया। पब मेड में जून महीने के अंक में छपे शोधपत्र के अनुसार 58 लोगों को 80 साल की उम्र के बाद घुटना बदलने की सर्जरी की गई। डॉ. राजेश ने बताया कि जिन मरीजों की ओपेन या पारंपरिक सर्जरी की गई, उसका असर उनके दिल की धड़कन पर पड़ा, हृदयगति बढ़ी हुई देखी गई और रक्तस्त्राव होने से भी दिल को नुकसान हुआ, जबकि जिन मरीजों का नेविगेशन से घुटना बदला गया उसकी हृदयगति सर्जरी के बाद बेहद सामान्य देखी गई।
क्या फायदे नेविगेशन के
– सही जगह पर घुटने को किया जा सकता है फिक्स
– कंप्यूटर आधारित होने की वजह से सफलता का प्रतिशत अधिक
– घुटने के लिगामेंट या टिश्यू को क्षति पहुंचने की संभावना कम
– घुटना बदलने के लिए पूरा घुटना खराब होने का इंतजार नहीं करना पड़ता
– सर्जरी के लिए चीरा नहीं लगाया जाता, इसलिए मरीज को दर्द नहीं होता