नई दिल्ली: महिला होते हुए भी वह इस अहसास से डरती थी, समय के साथ उसकी परेशानी बढ़ती गई। रिचा (बदला हुआ नाम) को एक ही ब्रेस्ट था। वह न तो किसी से यह बात पता पाती थी और न ही किसी से पूछ सकती थी। धीरे धीरे वह डिप्रेशन में जाने लगी। जब उसकी शादी की बात चलने लगी तो वह और परेशान हो गई, तब जाकर उसने इलाज का फैसला किया। डॉक्टर ने उसकी जांघ से फैट निकाल कर ग्राफ्टिंग के जरिए लेफ्ट ब्रेस्ट बना दिया और अब वह महिला का न केवल अहसास कर पा रही है बल्कि नई जिंदगी के लिए भी तैयार है।
गंगाराम अस्पताल के प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक सर्जन डॉ. विवेक कुमार ने कहा कि 25 साल की रिचा पोलैंड सिंड्रोम से पीड़ित थीं। इस बीमारी में एक ब्रेस्ट तो नॉर्मल होता है, किंतु दूसरा एकदम नहीं होता है। रिचा का लेफ्ट ब्रेस्ट विकसित नहीं हुआ था। इस वजह से वह डिप्रेशन में जी रही थीं। उन्होंने इंटरनेट के जरिए इसका इलाज ढूंढा और मध्य प्रदेश के एक शहर से इलाज के लिए गंगाराम अस्पताल पहुंचीं। ऐसी बीमारी में ब्रेस्ट इंप्लांट या फैट ग्राफ्टिंग की जाती है। पश्चिमी देशों में दोनों ही प्रोसीजर किया जाता है, लेकिन ज्यादातर महिलाएं ब्रेस्ट इंप्लांट कराती हैं। मगर इससे ब्रेस्ट के नीचे कटने का निशान हो जाता है, क्योंकि काटकर ही ब्रेस्ट इंप्लांट किया जाता है। अगर किसी की नजर पड़ी तो वह कटे हुए या सिलाई के निशान के बारे में पूछ सकते हैं यानी इलाज के बाद भी बीमारी का पता दूसरों को चल सकता है। यही नहीं, जब एक ब्रेस्ट नॉर्मल हो और दूसरा इंप्लांट किया जाए तो नैचुरल फील नहीं होता है। इसलिए रिचा को फैट
ग्राफ्टिंग की सलाह दी और वह तैयार हो गईं।
उन्होंने कहा कि हमने उनकी दाईं जांघ से इंजेक्शन के जरिए 450 मिलीलीटर फैट निकाला और उसे बाएं ब्रेस्ट के पास इंजेक्शन के जरिए ही ग्राफ्ट कर दिया। फैट को इंजेक्ट करने से पहले उसे क्लीन किया गया और केवल शॉफ्ट कैवेटी फैट की ही ग्राफ्टिंग की गई। एनीस्थिसिया की मदद से यह प्रोसीजर किया गया और करीब चार घंटे में प्रोसीजर पूरा हो गया। इसमें ध्यान रखा गया कि दोनों ब्रेस्ट का आकार बराबर रहे। सर्जरी के बाद दो-तीन हफ्ते तक ब्रेस्ट का रेगुलर मसाज करने की सलाह दी गई। तीसरे हफ्ते तक उनकी बॉडी
में बदलाव आने लगा और उनका ब्रेस्ट पूरी तरह विकसित हो गया। फैट रिचा की बॉडी का ही है, इसलिए न तो इसमें कोई साइड इफेक्ट का डर है और न ही किसी इनफेक्शन का। सर्जरी के बाद रिचा ने जब खुद को आइने में देखा तो उन्हें पहली बार संपूर्ण महिला होने का अनुभव हुआ।