नई दिल्ली: महिला और बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी ने शुक्रवार को कहा कि सरकार का बेटी बचाओ, बेटी पढाओ कार्यक्रम बहुत अच्छे तरीके से चल रहा है और इसके उत्साहजनक परिणाम दिखने लगे हैं। महिला और बाल विकास मंत्री ने शुक्रवार को लोकसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा, ‘‘बीबीबीपी योजना लांच के पहले वर्ष में सौ जिलों में शुरू की गई थी और पहले ही साल के अंत तक ही 58 जिलों में जन्म के समय लिंग अनुपात में वृद्धि दिखी। दूसरे वर्ष में योजना 161 जिलों में शुरू की गई, जिसमें से 104 जिलों में जन्म के समय लिंगानुपात में बढ़ोत्तरी दिखी है। इस कार्यक्रम का अच्छा प्रदर्शन करने वाले जिलों में सिक्किम में उत्तरी जिला, करनाल, कुड्डालोर, गाजियाबाद, मनसा, रेवाड़ी शामिल हैं।’’ उन्होंने कहा कि हरियाणा और राजस्थान ने बेहतर परिणाम दिए हैं और उन्हें पुरस्कृत किया गया है।
मंत्री ने बताया, ‘‘इस शानदार कार्य के लिए महिला और विकास मंत्रालय ने दस जिलों का अभिनंदन किया है। इन जिलों में महाराष्ट्र का जलगांव, जम्मू एवं कश्मीर में कठुआ, राजस्थान में झुनझुनू, महाराष्ट्र में ओस्मानाबाद, मध्य प्रदेश में ग्वालियर, तमिलनाडु में कुड्डालोर, छत्तीसगढ में रायगढ, हरियाणा में यमुनानगर और पंजाब में मनसा शामिल हैं।’ मेनका ने कहा कि पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम को लागू किया है। उन्होंने बताया, ‘‘कुछ जिलों के जन्म के समय लिंगानुपात में निराशाजनक प्रवृत्ति देखने को मिली है। इन जिलों में इटावा, सहारनपुर, बिजनौर, पिथौरागढ, हरिद्वारा और कोलकाता शामिल हैं। जन्म के समय लिंगानुपात में पीछे चलने वाले जिलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। डीसी/नोडल अधिकारियों के साथ साप्ताहिक और मासिक बैठकें की जा रही हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ कार्यरत लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों की सक्रिय भागीदारी के बिना बीबीबीपी योजना सफल नहीं हो सकती, क्योंकि यह मानसिकता की समस्या है, जो वर्षों से चली आ रही है। सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं। इनमें गुड्डी गुड्डा बोर्ड के माध्यम से सार्वजनिक स्थानों पर जन्म के आंकड़े दिखाना (उदाहरण के लिए महाराष्ट्र के जलगांव जिले में कार्यालयों और सार्वजनिक स्थानों पर डिजिटल गुड्डी गुड्डा डिसप्ले बोर्ड लगाए गए हैं), हरियाणा और छत्तीसगढ़ में सभी सरकारी भवनों/सार्वजनिक कार्यालयों/सार्वजनिक वाहनों पर बीबीबीपी लोगो का उपयोग, लड़की के जन्म पर समारोह करना, बाल विवाह रोकना (जैसा कि तमिलनाडु में कुडालोर द्वारा किया गया है), सेल्फी विद डॉटर अभियान, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर स्थानीय चैंपियनों की नियुक्ति, श्रेष्ठ पंचायतों का
अभिनंदन, लड़की की शिक्षा के लिए नामांकन अभियान पर बल और गिरते हुए बाल लिंगानुपात विषय पर ग्राम सभा/महिला सभा का आयोजन शामिल हैं।’’
सोर्स –आईएएनएस