मुंबई ,
जन्म देने के बाद ही उस नवजात को किसी ने नाले में छोड़ दिया, गनीमत यह थी कि दूसरे दिन ही मुंबई के एक समाजसेवी की उस पर नजर पड़ गई और उसे तुरंत नजदीक के अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। नवजात के दिमाग में गंभीर संक्रमण पाया गया, जिसकी वजह से वह आंख भी नहीं खोल पा रहा था। सर्जरी के तीन महीने बाद शुक्रवार को उसे एनसीपीसआर को सौंप दिया गया।
मुंबई से मिली जानकारी के अनुसार अंबरनाथ नाले के पास दिसंबर महीने की तीस तारीख को एक बच्चे को पाया गया। समाजसेवी शिवाजी रगाडे ने नवजात टाइगर को बाई जरबाई वाडिया अस्पताल में भर्ती करा दिया। बच्चे के दिमाग में संक्रमण मेनिनजाइटिस देखा गया, जिसकी ठीक करना बहुत जरूरी था। वाडिया अस्पताल की सीईओ डॉ. मिनी बोधनवालिया ने बताया कि दिमाग में संक्रमण की वजह से सीएसएफ या दिमागी फ्लूड का संचार सही ढंग से नहीं हो पा रहा था। अहम यह है कि बिना सर्जरी किए इंट्रावेनस दवाएं दी गईं, जिससे कुछ ही दिन बाद टाइगर के दिमाग का संक्रमण कम हो गया। नियमित सीटी स्कैन जांच और एमआरआई में देखा गया कि नवजात का संक्रमण अब कम हो रहा है। जन्म के समय नवजात का वजन 1.8 किलोग्राम था, जो अब 3.4 किलोग्राम हो गया है। अस्पताल ने नवजात का इलाज निशुल्क किया अब उसे आगे की औपचारिकता के लिए एनसीपीसीआर या राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को सौंप दिया गया है। नवजात के शरीर पर किसी भी अस्पताल की मुहर नहीं थी उसकी गर्भनाल भी नहीं कटी थी, इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि उसे किसी दाई या घर पर ही जन्म दिया गया।