असाध्य बीमारियों के इलाज के लिए होम्योपैथी की 14 नई दवाओं को स्वीकृति दी गई है। केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद द्वारा किए गए शोध में कैंसर, एचआईवी, माइग्रेन सहित महिलाओं में पीसीओएस की समस्या का इलाज करने में होम्योपैथी को कारगर माना गया है। परिषद ने एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल से होने वाले साइड एफेक्ट को कम करने में भी मीठी गोलियों को अहम बताया है। राष्ट्रीय आयुष मिशन की मदद से स्वास्थ्य मंत्रालय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर होम्योपैथी को बढ़ावा देने पर जोर दे रहा है। जिसके लिए एनएएम का गठन किया गया है।
इंडियन होम्योपैथी मेडिकल एसोशिएसन और केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद के निदेशक डॉ. राजकुमार मनचंदा ने बताया कि होम्योपैथी की फिलहाल तीन हजार दवाआें से इलाज किया जा रहा है, अंतराष्ट्रीय फार्मा कंपनी और संगठनों की मदद से दवाओं के दायरे को बढ़ाया जा रहा है। इसके साथ ही होम्योपैथी दवाओं को लेकर लोगों में फैले भ्रम को दूर करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस विधा को राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में प्रमुखता से शामिल करने के लिए एनएएम (राष्ट्रीय आयुष मिशन) शुरू करने की घोषण की है। दो दिवसीय सेमिनार में सौ से अधिक प्रस्तुत शोध पत्र का हवाला देते हुए डॉ. मनचंदा ने बताया कि कैंसर सहित एचआईवी और बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए भी होम्योपैथी का सफल प्रयोग किया गया है। दवाओं के नये सॉल्युशन की मदद से होम्योपैथी दवाएं एंटीबायोटिक दवाओं के खतरे को कम कर सकती हैं। मस्तिष्क की मोटर न्यूरो डिसीस (एमएनडी) के साथ ही हृदयघात और किडनी की बीमारी में भी होम्योपैथी का प्रयोग बढ़ा है