नई दिल्ली,
यौन स्वास्थ्य, जन्म नियंत्रण, किशोरावस्था, किशोरियों में गर्भधारण, मासिक धर्म आदि से संबंधित जानकारियों और शिक्षा के मामले में भारत का ग्रामीण समुदाय अब भी बेहद पिछड़ा हुआ (हाशिए पर) है। मैं कुछ भी कर सकती हूं जैसे जानकारी परक और मनोरंजक शो ने उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के बैरिया गांव में सेक्स एजूकेशन से जुड़े वर्जित विषयों पर चर्चा की गई।
यह गौर करने वाली बात है क्योंकि शिक्षित, शहरी परिवारों में भी प्रजनन और सेक्स जैसे विषयों पर बात नहीं की जाती। हालांकि बैरिया में अभिभावकों ने इन मुश्किल विषयों पर बातचीत करना शुरू कर दिया है। इस हिट सीरीज ने पहले ही बिहार के नवादा जिले में युवा लड़कियों को सैनिटरी पैड बैंक बनाने और बुंदेलखंड के 23 वर्षीय लडकुंवर कुशवाहा को कॉलेज की अपनी शिक्षा के लिए सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ने के लिए प्रेरित किया है।
इस मनोरंजक शैक्षिक शो की निर्माता पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्तरेजा ने कहा कि भारत के ग्रामीण समुदायों के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाले कंटेंट सामने लाने का संगठन का प्रयास सफलतापूर्वक काम कर रहा है। वह कहती हैं, “किशोरावस्था बदलाव का समय है और अक्सर युवा जानकारी के लिए अपने साथियों या इंटरनेट का सहारा लेते हैं। संसाधनों की कमी की वजह से बहुत से युवा अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर सही और पूर्वाग्रह से रहित जानकारी प्राप्त नहीं कर पाते। इसके बजाय वे ऑनलाइन परोसी गई किसी भी गलत जानकारी को सही मानकर अपना लेते हैं। मुझे खुशी है कि एमकेबीकेएसएच ने बैरिया गांव में अभिभवकों को इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर संवेदनशीलता के साथ बात करने में सक्षम बनाया है।
परिवार के भीतर सेक्सुअल एक्टिविटीज से संबंधित स्वस्थ चर्चा अगली पीढ़ी को गर्भनिरोधक व फैमिली प्लानिंग सहित उनके प्रजनन और यौन स्वास्थ्य के बारे में महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है जो भारत के लिए परिवर्तनकारी हो सकता है।”
बैरिया गांव की 16 वर्षीय प्रिया सिंह कहती हैं, “इस धारावाहिक देखने के बाद मेरी मां ने इन चीजों के बारे में बहुत खुलकर बात करना शुरू कर दिया है।”
व्यवहार परिवर्तन की मिसाल पेश करती प्रिया की माँ, 34 वर्षीय सुमन सिंह, बताती हैं कि यह क्यों जरूरी था, “मैं और मेरे पति ने घर में कंडोम का एक पैकेट छुपा कर रखा था जो मेरी बेटी के हाथ लग गया। मुझे लगा कि अगर मैं उसको इस बारे में नहीं बताउंगी तो वह किसी और से अपने दिमाग में उठ रहे सवालों के बारे में पूछेगी। मुझे ईमानदारी से और खुलकर बात करने की जरूरत थी। मैंने उसे बताया कि यह एक गर्भनिरोधक है जो गर्भावस्था के साथ-साथ सेक्स संचारित रोगों से बचाता है। ”
हालांकि, उनके घर में हमेशा से ऐसा नहीं था, वह कहती हैं, “पहले मैं इस तरह की बातें उससे छिपाती थी। ‘मैं कुछ भी कर सकती हूं’ देखने के बाद, मेरा रवैया पूरी तरह से बदल गया। पहले मेरे पति भी हमारी लड़कियों को केवल कक्षा 5 या 8 तक पढ़ाना चाहते थे। लेकिन अब, इस सीरिज से प्रेरित होकर उन्होंने मुझे उनकी जल्द शादी की बात करने से रोक दिया।” सुमन के पति, प्रदीप सिंह (38) कहते हैं, “मुझे पता है कि छोटा परिवार, खुशहाल परिवार होता है। जितना बड़ा परिवार होगा, उतनी ही अधिक समस्याओं से जूझना पड़ेगा।”
सीरीज की नायिका डॉ. स्नेहा माथुर से प्रभावित होकर एक स्नेहा ग्रुप भी बनाया गया है जहाँ महिलाओं के साथ-साथ लड़कियाँ भी परिवार नियोजन, स्वच्छता और साफ-सफाई जैसे मुद्दों पर चर्चा करती हैं।
शो के निर्माता, प्रसिद्ध फिल्म और थिएटर निर्देशक फिरोज अब्बास खान कहते हैं कि भाषणबाजी से हटकर कंटेंट का मनोरंजक होना जरूरी है। अपने दर्शकों के ज्ञान व सूझबूझ का सम्मान करना और जानकारी की उनकी प्यास को संतुष्ट करना बहुत जरूरी है, जिन तक उनकी पहुंच नहीं है। सीरीज के माध्यम से हमने उस तरह की बातचीत को सामान्य बनाने की कोशिश की है जिस पर आमतौर पर खुलकर चर्चा नहीं होती। ”
अपने तीन सीजन के दौरान, मैं कुछ भी कर सकती हूँ ने ऐसे विषयों को उठाया है जिनको लोगों के सामने लाने का साहस कुछ ही टीवी शोज दिखा सके हैं। 52 एपिसोड के पहले सीज़न में बाल विवाह, जन्म के समय लिंग की जांच और लैंगिक भेदभाव जैसे मुद्दों पर बात की गई। 79 एपिसोड का दूसरा सीज़न युवाओं और किशोरों पर केंद्रित था। तीसरा सीज़न स्वच्छता, साफ-सफाई और परिवार नियोजन जैसे विषयों से संबंधित था। 2019 में इसने अपने 52 एपिसोड पूरे किए।