फाइब्रायड या रसौली किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन आमतौर पर यह बीमारी 30 से 50 साल की महिलाओं में देखी जाती है। अभी तक रसोली बनने का वाजिब कारण पता नहीं चला है। फाइब्रायड को महिलाओं के शरीर में बनने वाले हार्मोन एस्ट्रोजन से जोड़कर देखा जाता है। यह हार्मोन महिलाओं की ओवरी में बनता है। फाइब्रायड का आकार मटर के दाने से शुरू होता है और बढ़ कर खरबूजे के साइज तक हो जाता है।
क्या है फाइब्रायड
सनराइज हॉस्पिटल की डॉ. निकिता त्रेहान के अनुसार फाइब्रायड या रसौली ऐसी गांठ होती है जो महिलाओं के यूट्रस में या उसके आसपास बनता है। यह ट्यूमर नॉन कैंसर होता है और मांसपेशी और फाइब्रस टिशु से बनता है। अनेक महिलाओं को इस बीमारी का पता तक नहीं चलता है। जब उनकी जांच की जाती है तो फाइब्रायड होने की जानकारी मिलती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें इसका कोई लक्षण ही नहीं दिखता है।
परेशानी
डॉक्टर का कहना है कि फाइब्रायड होने की वजह से महिलाओं की परेशानी बढ़ जाती है। कभी पीरियड रेगुलर नहीं रहता है और कभी पीरियड 30 दिन से ज्यादा दिनों के बाद आता है तो कभी 30 दिन से पहले ही हो जाता है। थोड़ा वजन उठाते ही महिलाओं को ब्लीडिंग होने लगती है। पीरियड के दौरान ब्लीडिंग भी ज्यादा होने लगती है। पेट के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत रहती है। कुछ महिलाओं में फाइब्रायड होने पर दर्द महसूस भी नहीं होता। पीरियड के दौरान काफी दर्द होता है। पीरियड के बीच में ब्लीडिंग, पेट दर्द, कमर दर्द और बैक दर्द के साथ बांझपन की समस्या भी हो सकती है। कई बार इसकी वजह से प्रेग्नेंसी नहीं होने का भी खतरा रहता है।
ट्रीटमेंट
लैप मायमेक्टमी (लैप्रोस्कोपिक यूट्रीन आर्टरी लिगेशन) से बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकता है। दूरबीन की सर्जरी ने ऑपरेशन को काफी आसान बना दिया है। इसकी पारंपरिक सर्जरी में पेट में बड़ा चीरा लगाना पड़ता है और इससे एक दाग बना रह जाता है, लेकिन दूरबीन तकनीक से कोई दाग नहीं रहता है। शादी की उम्र की लड़कियों के लिए दूरबीन विधि (लैप्रोस्कोपी) से फाइब्रायड की सर्जरी काफी सक्सेस हो रही है।