– कैंसर के इलाज में एलोपैथी के साथ ही आयुर्वेद भी जरूरी
– इलाज का नया प्रोटोकॉल बनाया गया, समग्र इलाज से संभव बीमारी पर जीत
नई दिल्ली,
एलोपैथी में कैंसर के आधुनिक इलाज में टारगेटेड थेरेपी को सबसे बेहतर माना जाता है, जो कैंसर की कारक सेल्स पर असर करती है, इससे अन्य स्वस्थ्य कैंसर सेल्स को नुकसान नहीं पहुंचता और मरीज के ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है, लेकिन टारगेटेड थेरेपी महंगी होने के कारण यह सबकी पहुंच से बाहर है, लेकिन आयुर्वेद में इसका तोड़ खोजा जा चुका है। कैंसर में रस-औषधि के कई सफल प्रयोग ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद द्वारा किए जा चुके हैं। आयुष मंत्रालय और संस्थान कैंसर के नए और बेहतर इलाज के लिए शोध कर रहा है। कैंसर के मरीजों के इलाज में आयुर्वेद फिजिशियन अन्य विधाओं के विशेषज्ञों की राय भी प्रमुखता से शामिल की जाएगी। विभिन्न तरह की कैंसर युक्त सेल्स को उनकी प्रवृति के आधार पर विशेषज्ञों का प्रोटोकॉल तैयार किया जाएगा, जिससे कैंसर के मरीजों का अधिक समग्र रूप से इलाज संभव हो पाएगा। आयुष मंत्रालय और एआईआईए(ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद) द्वारा कैंसर के समग्र इलाज पर दो दिवसीय सेमिनार जीवनियाम का आयोजन किया गया।
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेजा ने बताया कि अब तक हुए चिकित्सीय शोध यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि कैंसर के इलाज में केवल एलोपैथी को कारगर नहीं माना जा सकता। समग्र इलाज में आयुर्वेद के साथ ही सिद्धा, यूनानी और होलेस्टिक मेडिसिन को भी कैंसर के इलाज में अहम बताया गया। इसमें आयुर्वेद के रस औषधि पर सफल प्रयोग किए जा चुके हैं, इस बावत देशभर में कई संस्थानों द्वारा शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। जिनकी मदद से भविष्य में कैंसर के अधिक बेहतर इलाज की उम्मीद की जा सकती है।
कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन आयुष मंत्री श्रीपद येस्सो नायक द्वारा किया गया। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट की निदेशक प्रो. तनूजा नेसारी ने आयुर्वेद के माध्यम से कैंसर सहित विभिन्न गैर संक्रामक बीमारियों के इलाज के बारे में बताया, उन्होंने कहा कि इंटीग्रेटेड इलाज की विधि अपनाने से हमारे पास बेहतर इलाज के अधिक विकल्प मौजूद होंगे, जिसे मरीज को एलोपैथी दवा के साथ भी दिया जा सकता है। जीवानियाम 2020 आयोजनक डॉ. वीजी हुद्दार ने वर्कशाप की विस्तृत जानकारी दी, दो दिवसीय जीवनियाम में देश भर के 15 प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिनिधियों ने कैंसर के होलेस्टिक इलाज पर शोधपत्र जारी किए। डॉ. भूषण पटवर्धन ने कहा कि पिछले कई सालों से लोगों का रूझान हर्बल दवाओं की तरफ बढ़ा है, लाइफ स्टाइल संबंधी बीमारियों का ग्राफ बढ़ने की वजह से लोग अब आयुर्वेद की तरफ लौट रहे हैं, जो एक अच्छा संकेत है।