नई दिल्ली: सर गंगाराम अस्पताल के चिकित्सकों ने मुंह की लार ग्रंथि के स्टोन को बिना सर्जरी कर निकाल दिया। मरीज को लंबे समय से खाना खाने और पानी पीने में दिक्कत हो रही थी। सीटी स्कैन जांच में लार ग्रंथि के अंदरूनी हिस्से में चार से सात मिमी के कई पत्थर देखे गए, इसके साथ ही सूजन के कारण मरीज की आहार नाल भी संकुचित हो गई थी। चिकित्सकों ने बिना ओपेन सर्जरी कर सेलिंडोस्कोपी के जरिए स्टोन को निकाल दिया।
सर्जरी करने वाले सर गंगाराम अस्पताल के ईएनटी हेड एंड नेक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. वरून रॉय ने बताया कि अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैंन जांच में देखा गया कि मुंह की आहार नाल की साधारण नाल सूजन के कारण तीन मिमी से बढ़कर साल मिमी हो गई है। जांच में स्टोन या पत्थर की स्थिति ऐसी जगह देखी गईं जहां श्वांस और आहार नाल एक होती है, ऐसी जगह पारंपरिक तरीके से सर्जरी करने में थोड़ी सी भी लापरवाही होने पर स्वर तंत्र प्रभावित हो सकता था। सर्जरी की चुनौतियों को देखते हुए चिकित्सकों ने सेलिंडोस्कोपी के जरिए स्टोन निकालने का निर्णय लिया। जिसमें मुंह की सभी ग्रंथियों को सुरक्षित रखते हुए बिना चीरा लगाएं चार मिमी के पांच स्टोन निकाले गए। डॉ. वरून ने बताया कि सेलिंडोस्कोपी इंडोस्कोपी की तरह जांच की एक बेहद सुक्ष्म तकनीक है।
डॉक्टर रॉय ने बताया कि नाक के जरिए जो इंडोस्कोपी यूज की जाती है उसका साइज लगभग 4 एमएम का होता है, जो इतने छोटे थूक की नली में नहीं जा सकता। थूक की नली का साइज 3 से 5 एमएम के बीच होता है, जो बहुत ही बारीक और संकरी होती है। नई तकनीक में जो इंडोस्कोपी है उसका साइज 1.3एमएम का होता है। डॉक्टर ने कहा कि हम थूक नली के जरिए इंडोस्कोपी अंदर ले गए और इंडोस्कोपी में लगे कैमरे से सब दिख रहा था, उसके बाद इंडोस्कोपी में लगे फोरस्केप के जरिए 8 एमएम वाले स्टोन को बाहर निकाल लिया गया, उसके बाद बाकी पांच और स्टोर को बाहर निकाला गया, जिसका साइज 4 एमएम था। इस सर्जरी के चार महीने पूरे हो चुके हैं और फिर से मरीज को कोई स्टोन नहीं बना है। मरीज को लगातार हो रहे सूजन और दर्द से हमेशा के लिए राहत मिल गई है।