नई दिल्ली,
इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट 1956 के तहत राज्य और केन्द्र में पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिसनर अब टेलीमेडिसिन सेवा की सहायता से मरीजों की कांसलिंग कर सकेंगें। इसका फायदा दूर दराज व ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को अधिक मिलेगा, जो आपात स्थिति में अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं। टेलीमेडिसिन सेवा गाइडलाइन के तहत व्हाटसअप कॉलिंग, वीडियोकॉलिंग, डूओ सहित अन्य वीडियों सेवाआें के माध्यम से चिकित्सक मरीजों से संपर्क कर सकेगें। गाइडलाइन जारी होने के बाद एम्स भी अपने पुराने पंजीकृत मरीजों का फॉलोअप टेलीमेडिसिन सेवा के माध्यम से कर सकेगा। कोरोना संक्रमण के कारण एम्स में सभी जरूरी विभाग की ओपीडी सेवाएं फिलहाल बंद कर दी गई हैं।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, नीति आयोग और आईसीएमआर के संयुक्त प्रावधान में बुधवार को टेलीमेडिसिन संबंधी विधिवत गाइडलाइन जारी की गई। 58 पेज की गाइडलाइन में उन्हीं चिकित्सकों को टेलीमेडिसन के तहत मरीजों को देखने के लिए योग्य बताया गया है जो आईएमए एक्ट के तहत पंजीकृत प्रैक्सिटनर हैं। गाइडलाइन में बताया गया है कि टेलीमेडिसन की सेवा देने वाले चिकित्सक काउंसलिंग के समय किसी भी तरह की आर्टिफिशियन इंटेलिजेंस मशीन का प्रयोग नहीं करेगा, निर्धारित फार्म और फ्लो चार्ट के आधार पर ही मरीज की काउंसलिंग की जा सकेगी। टेलीमेडिसिन सेवा में आपातस्थिति में मरीज को सही सलाह देना चिकित्सक की सबसे अहम जिम्मेदारी दी गई है, जिससे मरीज के इलाज की दिशा निर्धारित की जा सके। वीडियाकॉलिंग से सलाह देते हुए मरीज के पास केयर गिवर के रूप में परिवार के किसी सदस्य की उपस्थिति अनिवार्य बताई गई है। इसी तरह चिकित्सक को भी नर्स या हेल्क केयर वर्कर की उपस्थिति में ही काउंसलिंग करनी होगी। गाइडलाइन में यह भी बताया गया है कि इस विधि के तहत चिकित्सक कौन सी स्वीकृत दवाएं लिख सकते हैं, सूची में दी गई दवा को मंत्रालय के बोर्ड की अनुमति बिना परिवर्तन नहीं किया जा सकता। मालूम हो कि कोरोना संक्रमण के चलते इसकी जरूरत अधिक महसूस की गई, एम्स, सफदरजंग सहित प्रमुख सरकारी अस्पतालों ने ओपीडी सेवाएं फिलहाल सीमित कर दी हैं। एम्स अब टेली मेडिसिन की सहायता से फालोअप के मरीजों की काउंसलिंग कर पाएगा। अभी तक टेलीमेडिसिन का प्रयोग एमबीबीएस और पीजी के मेडिकल छात्रों को पढ़ाने के लिए ही किया जाता था।