संभावित कोरोना मृतक की मोर्चरी में भेजने से पहले होगी नेजल जांच

नई दिल्ली
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने संभावित कोविड मृतक के नेजल स्वाब यानि नाक के सैंपल लेने को अनिवार्य कर दिया है। संभावित मृतक कोरोना मरीज की डेड बॉडी कोविड जांच के बाद ही मोर्चरी में भी भेजा जा सकेगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है जिससे कोरोना से होने वाली मौतों के सटीक आंकड़े प्राप्त किए जा सके।
प्राप्त जानकारी के अनुसार भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद संभावित कोरोना मरीजों की कोविड जांच को लेकर अधिक गंभीर है, जिससे कोरोना के सटीक आंकड़ों का पता लगाया जा सके। नई गाइडलाइन के अनुसार संभावित कोविड मरीज की यदि रिपोर्ट आने से पहले मौत हो जाती है तो मोर्चरी में शव को भेजने से पहले उसका नेजल स्बाब या फिर नेजोफायरंगियल लिया जाएगा। जिससे मरीज की मौत के सटीक कारण का पता लगाया जा सके। ऐसा इसलिए कहा गया क्योंकि कोरोना के एसिम्पैटिक मरीजों में शुरूआत के पांच से छह दिन के अंदर कोरोना के किसी भी तरह के पुख्ता लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। गाइडलाइन में यह भी कहा गया है संभावित कोरोना मरीजों की नेजल रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी मरीज का इलाज कोरोना मरीज की तरह ही किया जाएगा। मृतक व्यक्ति के अंतिम संस्कार के समय पांच परिजनों की उपस्थिति के साथ ही लॉ इंफोसमेंट अधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य बताई गई है। मृतक कोविड मरीजों का इलेक्ट्रिक रूम से अंतिम संस्कार अनिवार्य बताया गया है। मृतक के अंतिम संस्कार में किसी तरह के धार्मिक रीति रिवाज की अनुमति नहीं दी गई है। शव का यदि कब्र में संस्कार करना है तो कब्र की गहराई सात से आठ फीट तक अवश्य बताई गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *