नई दिल्ली,
सफदरजंग अस्पताल के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। आरटीआई द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार अस्पताल में हर साल करीब दस हजार मरीजों की मौत होती है। बीते पांच साल में मौत का यह आंकड़ा लगातार बढ़ा है। इस लिहाज से अस्पताल में रोजाना तकरीबन 28 मरीजों की मौत होती है। वर्ष 2013 में प्रतिवर्ष मरने वाले मरीजों का यह आंकड़ा आठ हजार था जो वर्ष 2018 मे बारह हजार तक पहुंच गया।
राजहंस बंसल द्वारा दर्ज की गई एक आरटीआई में अस्पताल प्रशासन द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार वर्ष 2016 में अस्पताल में भर्ती होने वाले कुल मरीजों 61751 मरीज भर्ती हुए, भर्ती मरीजों में 10740 मरीजों की मौत हो गई। जबकि वर्ष 2015 में केवल 9574 मरीजों की मृत्यु हुई। साल दर साल अस्पताल में मरने वाले मरीजों का आंकड़ा बढ़ रहा है। 2018 में मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 12614 हो गया। हालांकि आंकड़ों में यह भी स्पष्ट हुआ है कि अस्पताल में मातृ एवं शिशु रक्षा की सुविधाएं बेहतर हुई हैं। आरटीआई कर्ता राजहंस बंसल ने बताया कि सरकारी अस्पताल में सही समय पर इलाज न मिलने के कारण मरने वालों की संख्या बढ़ रही है, इसमें अधिकांश मरीजों की मृत्यु आपतकालीन इलाज की सुविधा न मिलने की वजह व जलने के शिकार मरीजों को सही समय पर इलाज न मिलने की वजह से हुई। आपतस्थिति में अस्पताल मरीजों को इलाज नहीं दे पा रहे हैं, जिसे लापरवाही ही मानी जाएगी। वहीं अस्पताल से मिली आधिकारिक जानकारी के अनुसार अस्पताल में दो हजार से अधिक बेड पर मरीजों को भर्ती किया जाता है, किसी को भी इलाज के लिए मनाह नहीं किया जाता। यह बात अलग है कि अस्पताल में अधिकतर मरीज बहुत गंभीर अवस्था में पहुंचते हैं, जिन्हें बचाया नहीं जा सकता। मालूम हो कि गत वर्ष ही अस्पताल की आधुनिक चिकित्सा सेवा से सुसज्जित इमरजेंसी ब्लाक का शुभारंभ किया गया।
संस्थागत प्रसव की संख्या बढ़ी
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार अस्पताल के महिला एवं प्रसूति विभाग में आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है। इसके साथ ही नवजात शिशु मृत्यु दर में भी कमी आई है। वर्ष 2013 में अस्पताल में 954 शिशुओं की मृत्यु हुई, वर्ष 2018 में 794 नवजात शिशुओं की मृत्यु हुई। वर्ष 2013 में 26,578 प्रसव अस्पताल में हुई, यह आंकड़ा वर्ष 2018 में बढ़कर 28,098 हो गया।