नई दिल्ली,
संक्रमण रोकने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पेंसिलिन दवा अब बेअसर हो गई है। संक्रमण के लिए जिम्मेदार कई बैक्टीरिया ने पेंसिलिन के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार कर ली है। यह भी तय है कि निकट भविष्य में किसी भी दवा कंपनी के पास ऐसी कोई कारगर एंटीबायोटिक दवा बनाने की योजना नहीं है जो हर तरह के संक्रमण से मुकाबला कर सके। इसलिए नई दवाओं की जगह विश्व स्वास्थ्य संगठन भी संक्रमण रोकने के पांरपरिक तरीकों पर अधिक जोर देने की बात कर रही है। जिसमें तहत अस्पतालों में सूरज की रोशनी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, अश्वगंधा, तुलसी, अदरक आदि पारंपरिक चीजों को संक्रमण रोकने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। सिल्वर या चांदी को भी संक्रमण रोधी माना जाता है, इसलिए अब चिकित्सकों के कोट सिल्चर कोटेट होगें।
हार्ट केयर फाउंडेशन के प्रमुख और आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने बताया कि सूरज की रोशनी को बैक्टीरिया खत्म करने और कारगर एंटीइंफेक्टेट माना गया है। यही वजह है कि पुराने समय में कपड़ों को सीलन से बचाने के लिए धूप में रखने को कहा जाता था। इस बावत विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2013 में जानी अपनी गाइडलाइन में कहा है कि नई एंटीबायोटिक उपलब्ध न होने के कारण हमे संक्रमण रोकने और एएमआर से मुकाबला करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों की ओर ही ध्यान देना होगा। इसी क्रम में अस्पतालों को नैचुरल वेंटिलेशन डिजाइन के आधार पर तैयार करने की बात कही गई। अस्पताल संक्रमण और एएमआर का सबसे अधिक खतरा चिकित्सकों को होता है, इसके लिए चिकित्सक सिल्वर कोटेट कोट पहनेंगे, नैनोमैटेरियल रिसर्च जर्नल के अनुसार सिल्वर कोटेट कोट पूरी तरह सुरक्षित धुलने योग्य और संक्रमण से बचाव के लिए इस्तेमाल किए जाएगें, कॉटन और पॉलिस्टर को कोट भी सुरक्षित माने गए हैं। कॉटन और पोलिस्टर को संक्रमण रोकने के लिए बेहद कारगर माना गया है। अस्पतालों में किए जाने वाले पेंट पर भी ध्यान दिया जाएगा, सिल्वर नैनोपॉटिकल्स युक्त एंटीमाइक्रोबायल पेंट्स से ग्राम बैक्टीरिया तक के संक्रमण को रोका जा सकता है