नई दिल्ली
2015 में हुई मार्ग दुर्घटना में आठ साल से रोहित ने न सिर्फ अपने बडे़ भाई और दो अन्य रिश्तेदारो को खोया बल्कि हादसे ने उसकी रीढ की हड्डी की संवेदना भी ले ली। वह सामान्य नित्य क्रियाकर्म जैसे मलमूत्र आदि त्यागने पर नियंत्रण खो चुका था। कूल्हे और पैरों की संवेदना खो चुकी थी, जिसकी वजह से बैठने और चलने में अक्षम हो गया था। डेढ़ महीने तक उसे बुनियादी उपचार दिया गया, लेकिन उसकी हालत में सुधार न होने पर रोहित को घर भेज दिया गया।
रोहित का इलाज करने वाले रीजेनरेटिव मेडिसन रिसर्चर अडिगोस स्टेम सेल्स डॉ. प्रदीप महाजन ने बताया कि परिवार ने एक अखबार स्टेम सेल्स होने वाले इलाज के बारे में पढ़ा था जिसके बाद रोहित को इलाज के लिए मुंबई लाया गया। न्यूरोरिहैबलिटेशन के तहत स्टेम सेल्स के साथ उसे उपचार के तीन सत्र दिए गए। रीढ़ की हड्डियों और क्षतिग्रस्त मांसपेशियों को ठीक करने के लिए वहां तक स्टेम सेल्स को पहुंचाया गया। कुछ समय बाद ही अडिगोस सेल्स ज्यामितिय गति से बढ़ने लगी और उसका असर बच्चे की पैर और कूल्हे की संवेदनशीलता पर दिखने लगा।
रोहित की मां पूजा गहलोत ने बताया कि सड़क दुर्घटना में पति और बेटा दोनों बुरी तरह घायल हो गए थे, मैं यह जानकर पूरी तरह टूट गई थी कि मेरा इकलौटा बेटा अब कभी चल नहीं पाएगा। लेकिन डॉ. महाजन की टीम ने मेरे बेटे को नई जिंदगी दी है। डॉ. प्रदीप ने बताया कि डेढ़ महीने के उपचार के दौरान ही रोहित के कूल्हे और पैरों में संवेदना लौट आई है, अब वह कैलिपर और वॉकर की मदद से बिना किसी सहारे से खुद चल सकेगा। कुछ व्यायाम और फिजियोथेरेपी की मदद से रोहित कुछ ही समय में पूरी तरह ठीक हो जाएगा।