नई दिल्ली : टीबी संक्रमित मरीज के खांसने, छीकने या फिर साथ उठने बैठने से दूसरे व्यक्तियों को टीबी होने के खतरे को कम किया जा सकेगा। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने इस बावत एक वैक्सीन पर ट्रायल शुरू किया है, जिससे मरीज के संपर्क में रहने वाले लोगों को टीबी होने के खतरे से बचाया जा सकेगा। मालूम हो कि वैक्सीन का यदि सफल परिक्षण होता है तो इससे देश में हर साल टीबी के बढ़ते मामलों को कम किया जा सकेगा।
एक दशक पहले बीसीजी टीकाकरण के लिए आईसीएमआर ने इस तरह के वैक्सीन पर परीक्षण किया था। टीबी बचाव के लिए दी जाने वाली यह वैक्सीन दो चरणों में दी जाएगी, जिसमें वीपीएम 1002 और एमआईपी के जरिए तीसरे चरण के टीबी नियंत्रण कार्यक्रम में ऐसे लोगों का चयन किया जाएगा, जो नियमित रूप से टीबी पॉजिटिव स्पूटम मरीजों के संपर्क में रहते हैं। वीपीएम1002 को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा तैयार किया गया है जबकि एमआईपी (माइक्रो बैक्टीरियम इंडिकस प्रानी) को तैयार किया गया है।
परीक्षण के दौरान 12000 ऐसे लोगों का चयन किया जाएगा जो टीबी पॉजिटिव स्पूटम के नियमित संपर्क में रहते हैं, ऐसे लोगों में टीबी संक्रमण की संभावना सबसे अधिक होती है। वैक्सीन के लिए दिल्ली सहित छह अन्य राज्यों से लोगों का चयन किया जाएगा, जिसमें कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, तमिलनाडू और तेलंगाना शामिल हैं। आईसीएमआर के निदेशक और डीएचआर स्वास्थ्य शोध विभाग के सचिव डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि सरकार ने टीबी नियंत्रण के लिए इस परीक्षण में पूरा सहयोग देने के लिए कहा है, जो प्रशंसनीय है, वैक्सीन के जरिए एक बड़ी आबादी का टीबी संक्रमण से बचाया जा सकेगा। एनआईटीआरडी के निदेशक डॉ. रोहित सरिन ने बताया कि परीक्षण के लिए सभी तरह की औपचारिकताओं को पूरा कर लिया गया है, जिसे सात से आठ महीने में पूरा कर लिया जाएगा।