नई दिल्ली: ऑटिज्म…एक बीमारी है। माई नेम इज खान फिल्म में शाहरुख खान को माइल्ड ऑटिज्म की बीमारी दिखाई गई है। यह बीमारी छोटी उम्र से ही स्टार्ट होती है। अगर आपके बच्चे का ग्रोथ उतना नहीं हो रहा हो जितना होना चाहिए, वह रेस्पांस नहीं करता हो तो ऐसे बच्चे में ऑटिज्म की बीमारी हो सकती है। अगर इस बीमारी की पहचान समय पर हो जाए तो इसे दवा से ठीक किया जा सकता है।
श्रीबालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर प्रदीप शर्मा का कहना है कि नवजात बच्चों का विकास और बढ़ने की गति फिक्स होता है, लेकिन कुछ बच्चे तय सीमा के अनुसार बढ़ नहीं पाते हैं, ऐसे बच्चे में ऑटिज्म की बीमारी हो सकती है। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों में आमतौर पर जन्म के एक साल के दौरान उसका ग्रोथ काफी स्लो होता है। यदि आपको अपने बच्चे के अंदर ऑटिज्म के लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर से दिखाएं।
डॉक्टर शर्मा ने कहा कि यदि आपका बच्चा जन्म के 6 महीने बाद तक स्माइल या कोई रेस्पांस नहीं करता है या फिर 9 महीने तक आवाज या फिर किसी प्रकार के हाव भाव को फॉलो नहीं करता है या फिर 12 महीने से पहले किलकारी नहीं मारता है तो इस स्थिति में अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाएं। इसके अलावा 14 महीने तक बच्चे द्वारा हाथों या उंगलियों से इशारा नहीं करना या फिर 16 महीने का होने तक एक शब्द ना कहना भी इस समस्या के लक्षणों की ओर इशारा करता है।
पीएसआरआई हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर मोहित गोयल नेबताया कि ऑटिज्म की बीमारी कोई मानसिक रोग नहीं है। आटिज्म डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों को लैंग्वेज, कम्यूनिकेशन और बिहेवियर से पता चलता है। इसमें बच्चों को दूसरों से बात चीत करने में या अपनी भावनाएं व्यक्त करने में परेशानी होती है। डॉक्टर ने कहा कि आज भारत में 10 मिलियन से ज्यादा बच्चे आटिज्म के शिकार हैं। आटिज्म से पीड़ित अधिकतर बच्चों में लक्षण 2-3 साल की उम्र में दिखाई देते है । लक्षणों को अनदेखा नहीं करे, यदि बच्चा दूसरे लोगों से नजर मिलाने में असहज महसूस करता है तो तुरंत अपने डॉक्टर की सलाह ले।