आपको होता है खाना निगलने में दिक्कत, कहीं एक्लेजिया तो नहीं

नई दिल्ली: खाना निगलने में दिक्कत, एक्लेजिया नाम की एक बीमारी की वजह से हो सकता है। इसमें खाने और पेट की नली का रास्ता आपस में जुड़ा न होने के कारण खाना खाने के बाद लिवर में एंजाम्स या एडिस का निर्माण नहीं हो पाता और मरीज को खट्टी डकार या फिर उल्टियां होने लगती हैं। लंबे समय तक पोषक तत्व न मिलने के कारण मरीज को निमोनिया और लिवर की तकलीफ भी बढ़ जाती है। अब तक इस बीमारी का इलाज सर्जरी से होता था। लेकिन अब इंडोस्कोपी से ही तकलीफ दूर की जा सकती है।

गंगाराम अस्पताल के गैस्ट्र्रोइंटोलॉजिस्ट डॉ. अनिल अरोड़ा ने बताया कि पोयम (पर ओरल इंडोस्कोपिक मायटोमी) के जरिए खाने की नली की रूकावट के कारण वाल्व की दिक्कत को दूर किया जा सकता है। इससे पहले तकनीक का इस्तेमाल का अब तक जापान में होता था। दरअसल खाने को पेट तक पहुंचाने के लिए खाने की नली के अंत में लगा वाल्व कई बार अधिक सख्त हो जाता है और कई बार अधिक ढीला, जिसके कारण खाना पेट तक या तो अधिक पहुंचता है या फिर बिल्कुल भी नहीं पहुंचता। डॉ. विजया सिंगला ने बताया कि अब तक इंडोस्कोपी विधि से बैलूनिंग के जरिए वाल्व की रूकावट को दूर किया जा सकता था, जो अस्थाई इलाज होता था, लेकिन अब इंडोस्कोपी के जरिए वाल्व के अतिरिक्त सेल्स को सर्जरी कर हटा दिया जाता है।

डॉ. अनिल ने बताया कि सबसे पहले बीमारी की सही समय पर जांच जरूरी है, कई बार मरीज पाचन क्रिया में गड़बड़ी के कारण को पहचान नहीं पाते हैं और शरीर में खाना न पहुंचने के कारण लिवर में एंजाम्स का बनना भी बंद हो जाता है, जिससे मरीज के खून में हीमोग्लोबिन की कमी सहित कई परेशानियां हो जाती है।

क्या है परेशानी
साधारण रूप से खाने की नली से गुजरा खाना पेट में जाकर वापस नहीं आता, वहीं से खाने की पाचन क्रिया शुरू हो जाती है। खाने की पचान क्रिया की यह नली और पेट के बीच मौजूद एक तरह के वाल्व एलईएस (लोवर एसोफेगल इसफ्रंटर) के जरिए पूरी की जाती है, जो खाने की नली के एकदम अंतिम छोर पर होता है। रिफलक्स डिसीस में वाल्व का काम करना बंद हो जाता है और पाचन क्रिया गड़बड़ हो जाती है, या यह कहा जाता है कि खाना पेट तक न पहुंच कर खाने की नली में वापस डकार के रूप में आने लगता है। कई मामलों में इस तकलीफ का इलाज एसिड नियंत्रित करने वाली दवाओं से किया जाता है। भारत में इसके प्रयोग के बाद डेढ लाख रुपए के खर्च में खाने की नली के अवरूद मार्ग को दूर किया जा सकता है।

जेनेटिक हो सकती है बीमारी
खट्टी डकार, खाना हमज न होना या फिर उल्टियां आने की एक्लेजिया बीमारी जेनेटिक हो सकती है, लेकिन इसका असर जन्म के तीस या चालीस बाद नजर आता है, जबकि फूड पाइम के अंतिम छोर पर लगा वाल्व अधिक ढीला या कसा हो जाता है। वाल्व के सख्त होने की स्थिति में खाना पेट तक नहीं पहुंचता जबकि ढीला होने की स्थिति में खाना तेजी से पेट तक पहुंचता है। लंबे समय तक खट्टी डकार के मरीजों को जांच करानी चाहिए।

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