नई दिल्ली
लेडी इरविन कॉलेज को पहली बार मातृत्व स्वास्थ्य रक्षा कार्यक्रम में शामिल किया गया है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की मदद से कॉलेज के खाद्य एवं पोषण विभाग में नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस एंड एडवांस रिसर्च ऑन डायट शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं के संतुलित आहार का खाका तैयार करना, महिलाओं को प्रशिक्षण देना और शोध करना शामिल है। केन्द्र पर शुरू के पांच साल में एनीमिया की शिकार गर्भवती महिलाओं को प्रमुखता से शामिल किया गया है।
यूनिसेफ की मदद से शुरू किए गए इस शोध केन्द्र में इस बात का ध्यान विशेष रूप से रखा जाएं कि नौ महीने के गर्भकाल के दौरान महिलाओं का वजन न अधिक हो और न ही कम। मातृत्व एवं शिशु रक्षा कार्यक्रम में मौजूद यूनिसेफ के प्रभारी रार्बट जॉन्सटन ने बताया कि गर्भधारण में संतुलित आहार की अहम भूमिका है, गर्भधारण का पता लगते ही महिलाएं या तो बहुत खाने लगती हैं या फिर महिलाओं को जरूरत के अनुसार भी पोषण नहीं मिल पाता। इसका असर नवजात शिशु की सेहत पर पड़ता है। अधिक वजन बढ़ने पर शिशु की मस्तिष्क के विकास पर असर पड़ता है तो एनीमिक या गर्भधारण पर वजन कम होने पर शिशु कुपोषण का शिकार हो सकता है। इसलिए महिलाओं को इस बात का प्रशिक्षण दिया जाना जरूरी है कि वह नौ महीने के दौरान ऐसा क्या खांए कि उनका वजन इस समय 12 किलो से अधिक न हो। लेडी इरविन कॉलेज यूनिसेफ की मदद से गर्भवती महिलाओं की सेहत से जुड़े आंकड़े सरकार तक पहुंचाएगा। इसके लिए स्थानीय स्तर पर कलावती सरन बाल चिकित्सालय एंड लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पापुलेशन साइंस और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशियन को भी शामिल किया गया है। दिल्ली के बाद मातृत्च स्वास्थ्य के लिए एक्सीलेंस सेंटर बिहार, मध्यप्रदेश, उड़ीसा और तेलंगाना में शुरू होगा।
क्या होगा शोध केन्द्र का काम
– सेमिनार और सुझावों को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय तक पहुंचाना, जिससे आगे मातृत्व स्वास्थ्य के लिए अधिक बेहतर योजनाएं तैयार की जा सकें।
– गर्भधारण के समय अधिक वजन भी शहरी क्षेत्रों की अहम समस्या है, इसके लिए प्रशिक्षण तक सभी वर्ग की महिलाओं को पहुंचाना और स्तनपान की जरूरत का प्रशिक्षण देना शामिल है।
– मातृत्व स्वास्थ्य से जुड़े पैरामेडिकल और मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव का प्रशिक्षण देना
– महिलाओं में एनीमिया को रोकने के लिए एक बेहतर डायट चार्ट तैयार करना जिससे अधिक वजन और कम वजन की समस्या का समाधान हो सके।
– प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना को प्रभावी ढंग से लागू करना।