नई दिल्ली
लंबे समय से विशेषज्ञ सिगरेट से होने वाले नुकसान से बचने के लिए ई सिगरेट का इस्तेमाल करने की सलाह देते आए हैं, जिसकी वह देश में सिगरेट का सेवन करने वाले 12 करोड़ लोग कम घातक विकल्प का प्रयोग नहीं कर पाएगें। संगठन का कहना है कि सरकार द्वारा ई सिगरेट को प्रतिबंधित करने का फैसला दुखद है। एक तरफ सरकार नशे को रोकने के लिए कहती है दूसरी तरफ धुम्रपान से होने वाली नुकसान को कम करने में असरदार ई सिगरेट को देश में बंद करने की कोशिश की जा रही है।
सीएचआरए के डायरेक्टर सम्राट चौधरी ने कहा कि तंबाकू को एकदम से नहीं छोड़ा जा सकता, इसलिए ई सिगरेट को लंबे से से धुम्रपान का एक बेहतर विकल्प माना गया है, इसमें टार न के बारबर होता है, जबकि यह पैसिव स्मोकिंग के खतरों को भी कम करता है। धुम्रपान छोड़ने की अपील करने वाले कई विकल्प जैसे निकोराइट्स, चिविंगम आदि के एवज में ई सिगरेट को बेहतर माना गया है। नए और कम हानिकारक विकल्प की जगह सरकार पुराने मौजूदा विकल्पों को भी खत्म करना चाहती है। एवीआई के निदेशक प्रतीक गुप्ता ने कहा कि अब तक के किए गए अध्ययनों में इसकी गुणवत्ता साबित की जा चुकी है। विशेषज्ञ इसकी कीमत कम करने पर भी विचार कर रहे हैं, सरकार यदि इस सिगरेट को बंद करती है तो एसोसिएशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगीं। मालूम हो कि ई सिगरेट की एक बार की कीमत ढाई से तीन हजार रुपए पड़ती है, जिसे हर महीने रिफिल कराने में एक से डेढ़ हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं।