ऑक्सफोर्ड कोरोना वैक्सीन में भारत की होगी अहम भूमिका

नई दिल्ली,
मेडिकल शोध जर्नल द लांसेट में ऑक्सफोर्ड कोविड 19 वैक्सीन शोध प्रकाशित हुआ। शोध के प्रारंभिक चरण के परिणाम संतोषजनक पाए गए हैं। प्रारंभिक चरण में जो परिणाम प्रकाशित हुए हैं उसके अनुसार वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावकारी पायी गयी। हालांकि यह शोध के पहले और दूसरे संयुक्त सत्र के परिणाम हैं, तीसरे चरण के प्रस्तावित परिक्षण के बाद ही इस बात का निर्णय हो पाएगा कि वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावकारी है कि नहीं, और जन स्वास्थ्य उपयोग में लानी चाहिए कि नहीं। इस शोध में 1077 लोगों ने भाग लिया जो कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं थे और 18-55 आयु के थे।
ओएमएजी (आर्गनाइज्ड मेडिकल अकादमिक गिल्ड) ने कोविड-19 वैक्सीन शोध के प्रारंभिक परिणाम का स्वागत किया है। ओएमएजी ने भारत सरकार से अपील की है कि शोध के तीसरे-सत्र को पूरा करने के लिए सभी ज़रूरी प्रक्रिया को बिना विलम्ब पूरा किया जाए। यह महत्वपूर्ण बात है कि भारत पूणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया ने पहले ही इस शोधकर्ता (ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रा-ज़ेनेका) से नीतिगत साझेदारी कर ली है कि वह इस वैक्सीन के 100 करोड़ (1 अरब) खुराक बनाएगी और वितरित करेगी। यह दुनिया के जन स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा कदम है क्योंकि भारत में निर्मित दवाएं दुनिया में सबसे अधिक उपयोग होती हैं जो देश की दवा-निर्माण और वितरण क्षमता का उद्योतक है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता और वितरणकर्ता भी है और विश्व में उपयोग में आने वाली विभिन्न वैक्सीन में से 60% से अधिक देश में निर्मित होती हैं। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि कोविड-19 वैक्सीन का निर्माण भारत जैसे देश में हो जिससे कि दुनिया को सस्ती गुणात्मक वैक्सीन बिना-किसी-विलम्ब के मिल सके और कोरोनावायरस महामारी पर विराम लग सके।
बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने पहले ही यह वादा किया था कि सात सबसे आशावादी कोविड-19 वैक्सीन शोध में वह निवेश करेगा. शोध के नतीजे आने पर नहीं बल्कि जीवनरक्षक उद्यमता वाली नीति को प्रोत्साहित करने के लिए भी बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने अपनी साक्षेदारी का आश्वासन दिया था।

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