सेहत संवाददाता
कम वजन के साथ पैदा हुए बच्चों के लिए नियोनेटल केयर से कहीं अधिक बेहतर कंगारू मदर केयर (Kangaroo Mother Care) को माना गया है। एक से 1.8 किलोग्राम तक के नवजात शिशुओं को कंगारू केयर में बेहतर चिकित्सीय सहायता दी जा सकती है। इस बात को प्रमाणित करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वित्त पोषित पांच देशों में शोध किया गया। भारत में शोध के लिए सफदरजंग अस्पताल के नियोनेटल केयर यूनिट को चुना गया, हालांकि कंगारू मदर केयर का प्रभाव जानने के लिए नवजात शिशु की मां के लिए अलग बेड लगाया गया। शोध के परिणाम बताते हैं कि कम वजन के बच्चों के लिए कंगारू केयर यूनिट एनआईसीयू ,नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट।Neo Natal Intensive Unit) से कहीं अधिक बेहतर है।
सफदरजंग अस्पताल द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार कम वजन के साथ पैदा होने वाले शिशुओं में अकसर सांस लेने में दिक्कत हाइपोथर्मिया और सेप्सिस या संक्रमण की संभावना अधिक होती है, इन नवजात शिशुओं को तत्काल राहत के लिए नियो नेटल इंटेसिव केयर यूनिट में रखा जाता है, जहां उनका इलाज तो होता है लेकिन वह मां से दूर होते हैं। विश्व स्वास्थय संगठन ने इस संदर्भ में कंगारू मदर केयर के प्रभाव को जानने के लिए पांच देशों में शोध किया। भारत के सफदरजंग अस्पताल इस शोध के लिए चयन किया गया। शोध के दौरान देखा गया कि नवजात की गंभीर अवस्था में यदि मां को उसके पास 24 घंटे रखा जाता है तो बच्चे के ठीक होने की संभावना 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है, इसके विपरीत एनआईसीयू में मां के संपर्क से दूर रहने पर बच्चे के ठीक होने की संभावना अधिक नहीं देखी गई। अध्ययन को ध्यान में रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2022 में गाइडलाइन जारी की, जिसमें कहा गया कि सभी अस्पतालों में 2500 ग्राम से कम वजन के नवजात शिशुओं के लिए कंगारू मदर केयर को अनिवार्य रूप से बनाया जाए। इस दिशा निर्देश को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा भी स्वीकार किया गया और कम वजन के नवजात शिशुओं के लिए सभी अस्पतालों में केएमसी या कंगारू मदर केयर को बनाने की बात कही गई।
सफदरजंग अस्पताल में बनाए गए 15 केएमसी बेड
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से सफदरजंग अस्पताल में 15 बेड पर नियोनेटर केएमसी तैयार कराए गए। अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ़ वंदना तलवार और आईसीएमआर के निदेशक डॉ़ राजीव बहल द्वारा 5 अगस्त 2023 को सफदरजंग अस्पताल में मदर नियोनेटल आईसीयू का औपचारिक उद्घाटन किया गया। इस सभी बेड पर मां नवजात के बिल्कुल पास रहती हैं, जिससे नवजात की गतिविधियों को तुरंत मॉनिटर किया जाता है। कंगारू मदर केयर में यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि ढाई किलोग्राम से कम वजन के नवजात को बिना किसी बाधा के मां का दूध मिलता रहे। स्तनपान नवजात में जन्म से जुड़ी कमजोरियों को दूर करता है। कंगारू केयर कम वजन के नवजात शिशुओं के लिए बेहतरीन चिकित्सीय सहायता के रूप में स्वीकार की गई है।
सफदरजंग अस्पताल की बढ़ाई गईं मदर केयर सुविधाएं
सफदरजंग अस्पताल में प्रति माह 150 से 200 नवजात शिशुओं को इलाज के लिए यूपी, हरियाणा, पंजाब, बिहार, राजस्थान से रेफर किया जाता है। जिसको देखते हुए डीजीएचएस के दिशा निर्देश के अनुसार एनएनआईसीयू में बेड की संख्या जनवरी महीने में बढ़ाकर 40 कर दी गई है। जिसका असर यह हुआ कि बीते तीन महीने में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में अब मात्र 16 प्रतिशत रह गई है, जबकि पहले नवजात शिशु मृत्यु दर 30 से 40 प्रतिशत थी। सफदरजंग अस्पताल की नवजात शिशु सुविधा को 13 फरवरी 2024 को डीजीएचएस डॉ़ अतुल गोयल द्वारा मुआयना किया गया। सफदरजंग अस्पताल देश का पहला ऐसा टेरिटरी अस्पताल है जहां अस्पातल में पैदा होने वाले नवजात शिशुओं के लिए ही नहीं बल्कि बाहर से आए नवजात शिशुओं को केएमसी की सुविधा दी जाती है। देश के लिए अस्पताल की केएमसी सुविधा बाहर देशों के लिए भी मिसाल बन रही है, कुछ समय पहले बांग्लादेश, यूथोपिया और नाइजीरिया के स्वास्थय अधिकारियों ने अस्पताल का दौरा किया, और अपने देश में केएमसी शुरू करने के लिए प्रशिक्षण दिए जाने की इच्छा जताई।