नई दिल्ली,
केरल के बाढ़ प्रभावित इलाकों में अब रैट फीवर का खतरा मंडरा रहा है। इसे चूहा बुखार या लिप्टोस्पायरोसिस भी कहा जाता है। केरल के बाढ़ प्रभावित इलाके में इस बुखार से अब तक चालीस लोगों के चपेट मे आने की सूचना है। यह आंकड़े सितंबर पहले हफ्ते और अगस्त के आखिरी हफ्ते तक के बताए जा रहे हैं। रैट फीवर को जूनोसिस बीमारी की श्रेणी में आता है।
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के डॉ. केके अग्रवाल ने बताया कि जलाश्य में रहने वाले जीव जंतुओं के मल के माध्यम से यह जल को निरंतर संक्रमित करता रहता है। केरल में आई बाढ़ की वजह से चूहों की संख्या में वृद्धि हो गई है। चूहों के मलमूत्र में बड़ी संख्या में लेप्टोस्पाइरा होते हैं, जो बाढ़ के पानी में मिल रहे हैं। बाढ़ के पानी में मौजूद यह जीवाणु त्वचा के संपर्क में आने से आंख, सेल्स या फिर त्वचा की झिल्ली के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं। सही समय पर इलाज न मिलने पर लेप्टोस्पायरोसिस, किडनी को क्षतिग्रस्त कर सकता है, मस्तिष्क में संक्रमण पैदा कर सकता है, इसके साथ ही रीढ़ की हड्डी के चारों ओर सूजन भी बढ़ा सकता है, जिससे मरीज की मौत हो सकती है। तेज बुखार, सिर में दर्द, उल्टियां और आंखे लाल होना इसके प्रमुख लक्षण है। सही समय पर बीमारी की पहचान होने पर एंटीबायोटिक से इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। हालांकि इसका अभी तक कोई टीका मौजूद नहीं है।