कैंसर के इलाज के लिए पुराने कैंसर टिशू मददगार साबित होते हैं। पुराने कैंसर टिशू को जमा कराने के लिए डेनवैक्स ने एक लैब शुरू किया है। डॉक्टर जमाल खान ने कहा कि सर्जरी के समय का सैंपल अब मरीज डेनवैक्स क्लीनिक में जमा करा सकते हैं। यह 5 साल तक सेफ टेम्परेचर पर रखा जाएगा। अगर किसी मरीज को इम्यूनोथेरेपी की जरूरत पड़ती है, तो इसकी मदद से काफी सटीक इलाज संभव हो पाएगा। डॉक्टर ने कहा कि कैंसर की सर्जरी के 2-3 साल बाद कैंसर फिर से डिवेलप होने का खतरा रहता है। इस समय पुराने टिशू की मदद से कैंसर की सही जानकारी मिल जाती है, लेकिन यह तभी संभव है जब पुराने टिशू सेफ हों। इस टिशू में सही तुलना में एंटीजन (कैंसर के मार्कर) होते हैं, जिनके आधार पर डेनड्रिटिक सेल थेरेपी की जा सकती है। लेकिन अगर केवल रिपोर्ट मिलती है और कैंसर के एंटीजन नहीं मिलते हैं, तो बहुत से लैब टेस्ट कराने होते हैं, तब पता चलता है कि कैंसर पर कौन सी दवा इफेक्टिव है। लेकिन टिशू स्टोरेज से यह तुरंत पता चल जाता है। डॉक्टर ने कहा कि यह स्टोरेज की सुविधा फ्री में दी जा रही है, मरीज के घर वाले को ऑपरेशन के दिन ही इस टिशू को लैब तक पहुंचाना होगा।