धड़कन को सुरक्षित रखने के लिए अब पारंपरिक पेसमेकर की जगह कैप्सूल के आकार के पेसमेकर से ही काम चलाया जा सकेगा। इसके लिए मरीज की सर्जरी करने की भी जरूरत नहीं होगी।
हाल ही में एक निजी अस्पताल द्वारा इस तरह का प्रयोग किया गया है जिसे पूरी तरह सफल माना गया है। मैक्स देवकी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की कार्डियक इलेक्ट्रोफिसियोलॉजी लैब की निदेशक डॉ. वनिता ने कुछ दिन पहले 37 साल के एक रोगी में इस तरह का उपचार किया। मरीज जब दिल की धड़कन में रूकावट की शिकायत लेकर डॉक्टर के पास पहुंचा तो उस समय पेसमेकर लगाने के अलावा और कोई इलाज नहीं था। मरीज की कम उम्र को देखते हुए चिकित्सकों ने पारंपरिक बैट्री संचालित पेसमेकर की जगह नया आधुनिक कैप्सूल के आकार का पेस मेकर लगाना अधिक बेहतर समझा, डॉ. वनीता ने बताया कि पेसमेकर के क्षेत्र में पिछले 60 साल में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है, अभी भी अधिकांश चिकित्सक पुराना बैट्री युक्त पेसमेकर लगाते है, जिसको लगाने के बाद मरीज को अजीवन कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अब छोटे आकार का माइक्रा ट्रांस कैथेटर पेसिंग सिस्टम टीपीएस का प्रयोग किया जाने लगा है। जिसे दुनिया का सबसे छोटे आकार का पेसमेकर भी कहा जाता है। विटामिन कैप्सूल आकार के इस पेसमेकर को ठीक उसी प्रकार लगाया जाता है, जिस प्रकार दिल की धमनियों में खून के थक्के को दूर करने के लिए एंजियोप्लास्टी की जाती है। रोगी के दाहिने पैर की धमनी से पेसमेकर को दिल तक पहुंचाया जाता है। स्टेंटिंग की तरह पतले तार की मदद से इसको दिल में फिक्स कर दिया जाता है। डॉ. वनीता ने बताया कि पारंपरिक पेसमेकर की जगह इस पेसमेकर की वैश्विकी सफतला 99 प्रतिशत देखी गई है, इसके साथ ही इसमें पारंपरिक पेसमेकर की अपेक्षाएं कम जटिलताएं हैं। छोटा आकार होने के साथ ही इसकी बैट्री भी अपेक्षाकृत अधिक समय तक चलती है।