नई दिल्ली,
देश भर में इस समय कोरोना मरीजों के इलाज में जुटा पैरामेडिकल स्टॉफ दिन रात अपनी सेवाएं दे रहा है। ऐसे में नर्स और वार्ड ब्वाय जैसे कर्मचारी लगातार ड्यूटी करने के बाद भी घर जाने से डर रहे हैं। बवाना और बाहरी दिल्ली के इलाके में काम कर रही नर्सों ने घर जाने की जगह पास के ही होस्टल या हास्टल में जरूरी चीजें उपलब्ध कराने के लिए सरकार को पत्र लिखा है। पन्द्रह दिन की ड्यूटी खत्म होने के बाद होम क्वारेंटाइन के लिए भेजा जा रहा है। जिसे यूनियन ने मना किया है। यूनियन का कहना है होटल में क्वारंटाइन होने से संक्रमण बढ़ने के खतरे को कम किया जा सकता है।
दिल्ली स्टेट हॉस्पिटल्स नर्सिस यूनियन द्वारा दिल्ली सरकार को लिखे एक पत्र में कहा गया है कि कोविड के इलाज मे हेल्थ केयर वर्कर फ्रंट लाइन बैरियर है, जो हर तरह से संक्रमण के खतरे के सबसे करीब होते हैं। कोविड गाइडलाइन के अनुसार 15 दिन तक कोविड मरीजों का इलाज करने वाले नर्स को 14 दिन तक क्वारंटाइन में रहना जरूरी है। यूनियन की संयुक्त सचिव जीमोल शाजी ने कहा कि कम्यूनिटी फैलाव की संभावना से बचाव के लिए कोरोना ड्यूटी करने के बाद स्टॉफ को नजदीक के हॉस्टल या होटल में क्वारंटाइन का समय बीताने की व्यवस्था की जानी चाहिए। दिल्ली सरकार के 50 नर्सिंग ऑफिसर ने 15 दिन के कोराना मरीजों के इलाज की समयावधि पूरी कर ली है, अब इन सबको क्वारंटाइन करने को कहा गया है, सभी का कहना है वह घर पर क्वारंटाइन नहीं होना चाहती, इसलिए निजी या सरकारी होटल में व्यवस्था की जा सकती है, जिससे यदि किसी को संक्रमण हो भी तो वह उनके परिजनों तक नहीं पहुंचे। कोरोना ड्यूटी में लगी सभी स्टॉफ घर जाने के लिए बाध्य किया जा रहा है, लेकिन इससे संक्रमण के फैलाव की पूरी संभावना रहेगी।