कोविड के समय में भी जरूरी है दिल की देखभाल

नई दिल्ली,
कोविड काल ने दिल के लिए भी खतरे की घंटी बजाई है। हल्के या माइल्ड कोविड वाले मरीजों को दिल में सूजन संबंधी मामले देखे जा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ लंबे समय से घर पर बैठे लोगों का औसतन दो से चार प्रतिशत वजन बढ़ गया है, वजन बढ़़ना सीधे तौर पर बीपी और दिल की बीमारी को दावत देता है। विश्व हृदय दिवस 29 सितंबर के अवसर पर हृदयरोग विशेषज्ञों ने दिल की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने को जरूरी बताया है।
नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट चीफ कार्डियक सर्जन और सीईओ डॉ. ओपी यादव ने बताया कि दिल को सुरक्षित रखने के लिए अभी हमें और अधिक सर्तक रहने की जरूरत है। आम तौर पर हम दिल को सुरक्षित रखने के लिए तली हुई चीजों से दूर रहने, नियमित व्यायाम और योगासान की सलाह देते हैं। लेकिन अभी हमें इन सब चीजों के अलावा भी कई बातों पर ध्यान देना होगा। कुछ लोगों के कोविड का असर बहुत हल्का देखा गया या कह सकते हैं उन्हें माइल्ड कोविड हुआ, जिसके लक्षण तो अधिक स्पष्ट नहीं देखे गए, लेकिन ऐसे मरीजों में दिल पर लांग कोविड असर देखा गया, हमारे पास ओपीडी में बड़ी संख्या में ऐसे मरीज आ रहे हैं जिन्हें मायकार्डिटिस या दिल में सूजन की शिकायत है। इन मरीजों को अकसर चलते समय छाती में दर्द, सांस फूलना या फिर घबराहट होती है। अब क्योंकि ऐसे मरीजों को कोविड के अधिक गंभीर लक्षण सामने नहीं आए थे इसलिए इस श्रेणी के अधिकांश लोगों ने कोविड की जांच भी नहीं कराई। लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, बीते कुछ महीनों से सडन कार्डियक अटैक या फिर अचानक हृदयघात के मामले कम उम्र में भी देखे गए हैं। इसलिए यदि दिल से संबंधित किसी तरह की परेशानी है तो चिकित्सक से अवश्य सलाह लें, ईको कार्डियोग्राफी से दिल की सूजन का पता लगाया जा सकता है। इस संदर्भ में कोविड के समय में घर में प्रयोग किए जाने वाले पल्स ऑक्सीमीटर का भी प्रयोग किया जा सकता है। छह मिनट तेज गति से चलने पर यदि ऑक्सीमीटर पर ऑक्सीजन लेवर 94 प्रतिशत तक पहुंचता है तो इसका मतलब है कि दिल सामान्य गति से काम कर रहा है, किसी भी सूरत में पल्स ऑक्सीमीटर पल्स रेट 92 प्रतिशत से कम जाने पर अधिक व्यायाम नहीं करना है। इसे चिकित्सीय भाषा में सिम्पमेटिक लिमिटेड एक्टिविटी कहा जाता है, यानि आप सामान्य रूप से स्वस्थ्य दिख रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि दिल भी स्वस्थ्य हैं। माइल्ड या हल्का कोविड होने पर जिम जाकर पसीना बहाना है या नहीं इस बात का निर्णय चिकित्सक की सलाह के बाद ही लें। बेहतर है कि जिम की जगह ओपेन एरिया या ऐसी जगह व्यायाम करें जहां खुली हवा हो। डॉ. ओपी यादव बताते हैं कि माइल्ड कोविड के अलावा लंबे समय से घर पर रहने की वजह से लोगों की ईटिंग हैबिट या खाने की आदत में भी काफी बदलाव आया है एक अनुमान के मुताबिक कोविड काल में हर तीसरे व्यक्ति का औसतम दो से चार किलो वजन बढ़ गया है, ऐसे में जो पहले से दिल के रोगी हैं उन्हें दिल की गंभीर समस्या हो सकती हैं, उम्र और लंबाई के अनुसार यदि शरीर का बीएमआई निर्धारित मानक से अधिक है तो ऐसी महिला या पुरूष को ओबिज या फिर मोटा माना जाता है। अधिक वजन होने पर सबसे पहले ब्लड प्रेशर पर असर पड़ता है। हृदय रोग विशेषज्ञ अनियंत्रित बीपी को साइलेंट हार्ट अटैक भी मानते हैं। अनियंत्रित बीपी और तनाव के कारण ही आजकल कम उम्र में भी हृदयघात के मामले देखे जा रहे हैं। वर्क फ्राम होम या घर से काम करने के बदलाव के कारण लोग टीवी देखते हुए भी खाते रहने और व्यायाम न करने की आदत के साथ ही आलस्य के शिकार हो गए हैं, हमें यह ध्यान रखना होगा कि कोविड से बचाव के साथ हम बाकी बीमारियों को दावत न दें, अनियंत्रित जीवन शैली न सिर्फ हृदयरोग बल्कि मधुमेह का भी खतरा बढ़ाती है। भारत के संदर्भ में दिल की बीमारी के आंकड़़े संतोषजनक नहीं है, वर्ष 2019 में जारी ग्लोबल सर्वे ऑन हार्ट सरवाइवर के आंकड़े कहते हैं कि 63 प्रतिशत लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि उनका कोलेस्ट्राल लेवल कितना है। रिपोर्ट के अनुसार दस में से आठ लोग दिल की बीमारी के बेहद करीब हैं, दिल के मरीज होने के बाद भी केवल 44 प्रतिशत लोग ही कोलेस्ट्राल की नियमित जांच कराते हैं। डॉ. ओपी यादव कहते हैं कि युवा वर्ग का दिल कमजोर होना चिंता का विषय है, पोस्ट कोविड काल में हमें स्वस्थ्य समाज का निर्माण करना है, युवा देश का भविष्य है। कोविड ने हमें स्वास्थ्य के प्रति गंभीर रहने का सबक दिया है। दिल को सुरक्षित के लिए आहार के साथ ही व्यवहार पर भी ध्यान देने की जरूरत है, छोटी बातों पर अधिक गुस्सा, चिड़चिड़ा मन बीमार दिल की निशानी हैं। ध्यान और योगा को दिनचर्या में शामिल करें, खुश रहना दिल के लिए औषधि है जिसके लिए किसी चिकित्सक की आवश्यकता नहीं।
निशि भाट

लेखिका स्वतंत्र स्वास्थ्य पत्रकार हैं

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